क्या एसआईआर को लेकर बंगाल सरकार ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा?

सारांश
Key Takeaways
- ममता बनर्जी सरकार ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा।
- पत्र में एसआईआर के बारे में परामर्श की कमी पर जोर दिया गया।
- पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
- मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की मतदाता सूचियां गायब हैं।
- गलत सूचना को दूर करने के लिए प्रेस रिपोर्ट की पुष्टि करने का अनुरोध।
कोलकाता, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने चुनाव आयोग को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में कहा गया है कि एसआईआर के मामले में पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) और राज्य सरकार के बीच कोई परामर्श नहीं हुआ है।
ममता बनर्जी सरकार ने पत्र के माध्यम से यह भी कहा कि कुछ समाचार पत्रों और समाचार चैनलों ने रिपोर्ट किया है कि पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने चुनाव आयोग को सूचित किया है कि पश्चिम बंगाल मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए तैयारी हो चुकी है। लेकिन ऐसा लगता है कि इस संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय द्वारा राज्य सरकार से किसी प्रकार का परामर्श नहीं किया गया और ना ही कोई पूर्व सूचना दी गई थी।
बंगाल सरकार ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से प्रेस रिपोर्ट की सामग्री की पुष्टि करने का अनुरोध किया है ताकि किसी भी गलत सूचना को दूर किया जा सके। यह उल्लेखनीय है कि समाचार पत्रों में 8 अगस्त को और समाचार चैनलों में 7 अगस्त को इस संदर्भ में खबरें प्रकाशित हुई थीं।
पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव आयोग बिहार की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की योजनाएँ बना रहा है।
हाल ही में मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में दो जिलों के चार विधानसभा क्षेत्रों की 2002 की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मतदाता सूचियां उपलब्ध नहीं हैं। ये 2002 की एसआईआर मतदाता सूचियां नई एसआईआर का आधार हैं, जिसकी प्रक्रिया पहले ही पश्चिम बंगाल के पड़ोसी राज्य बिहार में पूरी हो चुकी है। जिन विधानसभा क्षेत्रों की 2002 एसआईआर मतदाता सूचियां गायब हैं, वे हैं बीरभूम जिले में मुरारई, रामपुरहाट और राजनगर तथा दक्षिण 24 परगना जिले में कुलपी।
अधिकारी ने बताया कि उन चार विधानसभा क्षेत्रों की 2002 की एसआईआर मतदाता सूची को खोजा जा रहा है। आयोग को उम्मीद है कि सूची जल्द ही उपलब्ध हो जाएगी। यदि सूची उपलब्ध नहीं होती है, तो विकल्प के तौर पर 2003 की मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।