क्या एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश विपक्षी पार्टियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है? : राजीव रंजन
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर को रोकने से इनकार किया।
- विपक्षी पार्टियों को जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए।
- राजीव रंजन ने बिहार में एसआईआर की सफलता की तारीफ की।
- पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता है।
- जनता की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
पटना, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) शासित पश्चिम बंगाल में एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) को रोकने से इनकार कर दिया है। जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट के बयान को विपक्षी पार्टियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश बताया।
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश एसआईआर का विरोध करने वाली पार्टियों के लिए एक बड़ी सीख हैं। विपक्ष की ओर से कई अनावश्यक आरोप लगाए जा रहे हैं, जिन्हें समाप्त होना चाहिए। एसआईआर की प्रक्रिया को निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरा करने के लिए इंडिया महागठबंधन के साथियों को रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए।"
उन्होंने बिहार एसआईआर की सफलता की सराहना करते हुए कहा, "बिहार में एसआईआर ने शानदार काम किया है। एक पारदर्शी और निष्पक्ष सूची प्रकाशित की गई है। अयोग्य मतदाताओं को बाहर किया गया है और योग्य मतदाताओं को जोड़ा गया है। हालिया जनादेश और बेदाग सूची के बाद देश के 12 राज्यों में एसआईआर का महाअभियान चल रहा है, जिसमें आम लोगों की भागीदारी हो रही है।"
पश्चिम बंगाल की मौजूदा मतदाता सूची में शामिल करीब 26 लाख नाम 2002 की मतदाता सूची से मेल नहीं खाने वाले चुनाव आयोग के बयान पर राजीव रंजन ने चिंता जताई। उन्होंने कहा, "अगर ऐसे मतदाताओं की पहचान निर्वाचन आयोग ने की है, तो फिर एसआईआर प्रक्रिया में बीएलओ और बीएलए को पूरी जिम्मेदारी के साथ योग्य मतदाताओं को जोड़ने और अयोग्य मतदाताओं को सूची से बाहर करने में योगदान देना चाहिए।"
राजीव रंजन ने रिटायर्ड चीफ जस्टिस गवई के संविधान को खतरा नहीं होने के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "विपक्ष को इस बयान को गंभीरता से लेना चाहिए। विपक्ष के आरोपों में कोई आधार नहीं है। उनका इतिहास संविधान और लोकतंत्र के प्रति दागदार रहा है। ऐसी स्थिति में इस तरह के काल्पनिक खतरों को उठाकर वे अपनी खोई हुई साख को नहीं बचा पाएंगे।"