क्या सिरदर्द और बंद नाक का मतलब साइनसाइटिस है? आयुर्वेद से जानें राहत के उपाय

सारांश
Key Takeaways
- साइनसाइटिस
- नाक का बंद रहना
- सिरदर्द
- आयुर्वेदिक उपाय
- स्वास्थ्य की देखभाल
नई दिल्ली, 16 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बरसात या ठंड के मौसम में अक्सर लोगों को नाक बंद होने, सिरदर्द और चेहरे पर भारीपन जैसी समस्याएं होती हैं। अधिकतर लोग इसे साधारण जुकाम या एलर्जी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह समस्या वास्तव में साइनसाइटिस भी हो सकती है। यह केवल अस्थायी परेशानी नहीं है, बल्कि प्रतिरोधक क्षमता और शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य से जुड़े एक रोग का संकेत है।
साइनस खोपड़ी में आँखों और नाक के आसपास बनी वायु से भरी गुहाएं होती हैं, जो बलगम (म्यूकस) बनाकर नाक को साफ और नम बनाए रखती हैं। जब इन गुहाओं में सूजन या संक्रमण होता है, तो इसे साइनसाइटिस कहा जाता है। इस रोग के लक्षण संक्रमण की स्थिति के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
जैसे मैक्सिलरी साइनस में सूजन होने पर गाल और ऊपरी दांतों में दर्द होता है। फ्रंटल साइनस में समस्या होने पर माथे में दर्द महसूस होता है। एथ्मॉइड साइनस में आंखों के बीच दर्द होता है, जबकि स्फेनॉइड साइनस सिर के पीछे और गर्दन में दर्द उत्पन्न करता है।
इसके अलावा, नाक का लगातार बंद रहना, गंध की क्षमता में कमी, सिरदर्द, आँखों के आसपास दबाव, चेहरे पर भारीपन और कभी-कभी बुखार भी इसके प्रमुख लक्षण हैं।
साइनस के पीछे कई कारण हो सकते हैं। धूल, धुआं, परागकण या परफ्यूम जैसी चीजों से एलर्जी इसका एक बड़ा कारण है। इसके अलावा, नाक की हड्डी का टेढ़ा होना, वायरल, बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता भी इसे जन्म देती हैं। तनाव और असंतुलित जीवनशैली इस रोग को और बढ़ा देती है।
आयुर्वेद में साइनसाइटिस से राहत पाने के लिए कई घरेलू उपाय बताए गए हैं। नस्य उपचार में सरसों का तेल या घी की दो-दो बूंद सुबह-शाम नाक में डालने से लाभ होता है। पानी में अजवाइन या पुदीना डालकर भाप लेना, तुलसी और अदरक का काढ़ा पीना, हल्दी वाला दूध लेना और त्रिकटु चूर्ण का सेवन करना कफ और बलगम को कम करके संक्रमण को घटाता है।
तली-भुनी और भारी चीजें छोड़कर हल्का, पौष्टिक और पचने योग्य आहार लेना भी साइनस रोगियों के लिए लाभकारी माना गया है।
इस रोग से बचने के लिए कुछ सावधानियां अपनाना आवश्यक है। धूल, धुएं और प्रदूषण से खुद को बचाएं। मौसम के अनुसार शरीर को ढककर रखें और ठंडी पेय पदार्थों या बासी भोजन से परहेज करें। योग और प्राणायाम नियमित करने से श्वसन तंत्र मजबूत होता है और प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।