क्या भारत, अमेरिका का प्रमुख द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदार है? ट्रेड वार्ता से नए अवसर खुलेंगे!

सारांश
Key Takeaways
- भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड वार्ता से नए अवसर खुल सकते हैं।
- टैरिफ में कमी की संभावना है, जिससे निर्यात में वृद्धि हो सकती है।
- भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र पर बातचीत न करने का निर्णय लिया है।
- दुनिया में भारत को एक ट्रेड हब के रूप में देखा जा रहा है।
- अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाया है, जो व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर रहा है।
मुंबई, 16 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत, अमेरिका का एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदार है। सोमवार से शुरू हुई ट्रेड वार्ता से निश्चित रूप से टैरिफ में कमी आएगी और नए अवसरों का सृजन होगा। यह जानकारी अर्थशास्त्रियों ने साझा की।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में प्रबीर कुमार सरकार ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता का फिर से आरंभ होना सकारात्मक संकेत है। भारत, अमेरिका का एक प्रमुख द्विपक्षीय साझेदार है। हालांकि, रूस से तेल आयात के कारण अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है। ऐसे में बातचीत का पुनः आरंभ होना टैरिफ के समाधान की दिशा में एक कदम होगा, जिससे यह 25 प्रतिशत तक घट सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट किया है कि कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में अमेरिकी कंपनियों के प्रवेश पर कोई बातचीत नहीं होगी, और इस बार भी सरकार का यह रुख कायम रहेगा।
एसोचैम जम्मू-कश्मीर परिषद के चेयरमैन मानिक बत्रा ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के आरंभ होने से उद्योग को काफी उम्मीदें हैं। हमारे देश का एक बड़ा निर्यात हिस्सा पश्चिमी देशों में जाता है और वे हमारे बाजारों में काफी निवेश भी करते हैं। इस कारण, हमें विश्वास है कि इन व्यापार वार्ताओं के सकारात्मक परिणाम आएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भारत को एक ट्रेड हब के रूप में देखती है। इस स्थिति को बनाए रखने के लिए यह व्यापार डील अत्यंत आवश्यक है।
अमेरिका ने रूस से तेल आयात और व्यापार घाटे के कारण भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा रखा है, हालांकि इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा को इससे बाहर रखा गया है।
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए असिस्टेंट यूएसटीआर (यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव) ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल पहली बार भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत कर रहा है।