क्या सितारा देवी कथक की अग्नि हैं, जिनका कोई सानी नहीं?
सारांश
Key Takeaways
- सितारा देवी को 'कथक की रानी' कहा जाता था।
- उन्होंने १० साल की उम्र में नृत्य करना शुरू किया।
- उनका असली नाम धनलक्ष्मी था।
- उन्होंने १०० से अधिक फिल्मों में नृत्य किया।
- उनकी अंतिम परफॉर्मेंस २०१३ में हुई थी।
मुंबई, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सितारा देवी को लोग 'कथक की रानी' के नाम से जानते थे, जिन्हें रवीन्द्रनाथ टैगोर ने आठ साल की उम्र में 'नृत्य सम्राज्ञी' की उपाधि दी थी। उन्होंने ९४ साल की उम्र तक मंच पर घुंघरू बांधकर अपने नृत्य का जादू बिखेरा और कभी भी अपनी कला को नहीं छोड़ा।
८ नवंबर १९२० को कोलकाता के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मीं सितारा (असली नाम धनलक्ष्मी) का बचपन ही नृत्य में डूबा हुआ था। उनके पिता सुकदेव महाराज खुद कथक गुरु थे और मां मथुरा देवी पारंपरिक नृत्य की जानकार। उस समय जब अच्छे घर की लड़कियों के लिए नृत्य करना पाप समझा जाता था, सितारा ने मात्र १० साल की उम्र में अपना पहला पेशेवर प्रदर्शन किया।
१२ साल की उम्र तक वे बंबई (तब का नाम) आ चुकी थीं और १६ साल की उम्र में 'नागिन' फिल्म में पहली बार परदे पर नृत्य किया।
सितारा देवी का नाम सुनते ही आंखों के सामने जो चित्र उभरता है, वो है- लाल-पीली साड़ी, भारी गहने, आंखों में काजल की तेज रेखा और घुंघरू की वो झंकार जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती थी। उन्होंने कथक को केवल शास्त्रीय नृत्य नहीं रहने दिया, बल्कि उसमें ठुमरी, दादरा, कजरी, और होरी जैसे सभी रंग भर दिए। उनके नृत्य को लोग कहते थे, 'जैसे बिजली कड़कती है।'
उन्होंने १०० से अधिक फिल्मों में नृत्य किया। 'मदर इंडिया', 'अनजाना', और 'हरे राम हरे कृष्ण' जैसी फिल्मों में उनके नृत्य आज भी देखे जाते हैं। लेकिन फिल्मों को उन्होंने कभी अपना अंतिम लक्ष्य नहीं बनाया। जब १९६७ में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मश्री' देने का ऐलान किया, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। बाद में १९७३ में उन्हें पद्मश्री मिला, लेकिन उन्होंने उसे लेने से फिर इनकार कर दिया।
उनकी जिंदगी जितनी रंगीन थी, उतनी ही बेबाक। उन्होंने तीन शादियां कीं। पहली नजर के प्यार में डायरेक्टर किदार शर्मा से, फिर प्रोड्यूसर नजीर अहमद से और अंत में अपने शिष्य प्रताप बर्वे से। हर बार समाज ने उंगली उठाई, हर बार सितारा ने अपनी कला से जवाब दिया।
सितारा ९४ साल की उम्र में भी मंच पर ४५ मिनट तक लगातार नाचती थीं। उनकी आखिरी परफॉर्मेंस २०१३ में मुंबई के शनमुखानंद हॉल में हुई थी।
२५ नवंबर २०१४ को ९४ वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी नृत्य कला आज भी लाखों दिलों में बसती है। सितारा चली गईं, लेकिन उनके घुंघरू आज भी गूंजते हैं।