क्या स्वतंत्रता दिवस पर सुदर्शन पटनायक ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की कहानी रेत पर बयां की?

सारांश
Key Takeaways
- सुदर्शन पटनायक की कला स्वतंत्रता दिवस पर गर्व का प्रतीक है।
- 'ऑपरेशन सिंदूर' भारतीय लड़ाकू विमानों की शक्ति को दर्शाता है।
- रेत की मूर्तियाँ न केवल कला हैं, बल्कि सामाजिक संदेश भी देती हैं।
- इन कलाकृतियों में भारतीय संस्कृति का गहरा प्रभाव है।
- सुदर्शन पटनायक ने पहले भी कई अद्भुत मूर्तियाँ बनाई हैं।
पुरी, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर ओडिशा के पुरी तट पर प्रसिद्ध रेत कलाकार और पद्मश्री पुरस्कार विजेता सुदर्शन पटनायक ने अद्वितीय विज्ञान-आधारित रेत की मूर्तियों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की है।
इनमें से एक प्रमुख कलाकृति 'ऑपरेशन सिंदूर' को दर्शाती है। इस कलाकृति में राफेल लड़ाकू विमानों को दुश्मन के ठिकानों पर कलात्मक रूप से हमले करते हुए दर्शाया गया है, जिसे लाल बिंदी और भारत के नक्शे के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
पटनायक ने अपनी कलाकृति के बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस स्वतंत्रता दिवस पर, मैं अपनी कला के माध्यम से भारत की ताकत, नवाचार और देशभक्ति को प्रदर्शित करना चाहता था। इस कलाकृति में हमने दिखाया है कि भारतीय लड़ाकू विमान राफेल किस प्रकार दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर रहा है। इसके साथ में लाल बिंदी भारत के मध्य में है। साथ ही, 'भारत माता की जय' का संदेश दिया गया है। 'ऑपरेशन सिंदूर' हमारे देश की रणनीतिक प्रतिभा और साहस का प्रतीक है, और मुझे उम्मीद है कि यह मूर्ति हर भारतीय को गर्वित करेगी।
इससे पहले, सुदर्शन पटनायक ने पुरी के समुद्र तट पर भगवान जगन्नाथ की रेत से एक आकर्षक मूर्ति बनाई थी, जो भक्ति, सांस्कृतिक गौरव और देशभक्ति का अनूठा संगम प्रस्तुत करती थी। यह 6 फीट ऊंची रेत मूर्ति न केवल कला का उत्कृष्ट नमूना थी, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी समेटे हुए थी।
इस खास कलाकृति में सुदर्शन पटनायक ने महाप्रभु जगन्नाथ को 'पद्मवेश', यानी कमल की पोशाक में खूबसूरती से चित्रित किया था। मूर्ति को राखी के रूपांकन में डिजाइन किया गया था, जो रक्षाबंधन के प्रेम और सुरक्षा के बंधन को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता था।