क्या ममता बनर्जी बंगालियों के लिए सबसे अधिक हानिकारक हैं? : सुकांत मजूमदार

सारांश
Key Takeaways
- ममता बनर्जी का बयान विवादित साबित हुआ है।
- सुकांत मजूमदार ने तीखा पलटवार किया है।
- बंगाल की राजनीति में बंगाली अस्मिता का मुद्दा महत्वपूर्ण है।
- आगामी चुनावों में स्थिति बदल सकती है।
- नेपाल हिंसा पर शांति की अपील की गई है।
कोलकाता, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान पर तीखा प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बंगाल को बंगाली ही चलाएंगे, दिल्लीवाले नहीं। मजूमदार ने ममता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह बंगालियों के लिए सबसे अधिक हानिकारक हैं।
सुकांत मजूमदार ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने बंगालियों के पेट पर लात मारी है।
उन्होंने टीएमसी के टिकट वितरण पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कीर्ति झा आजाद, यूसुफ पठान और शत्रुघ्न सिन्हा का हवाला देते हुए कहा कि ये लोग बंगाली नहीं हैं, और ममता ने इन्हें टिकट देकर बंगालियों के साथ अन्याय किया है।
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने बंगाली नेताओं को दरकिनार करके गैर-बंगालियों को सांसद बनाया। अगर उन्हें बंगालियों की इतनी चिंता है, तो उन्हें संसद में यूसुफ पठान, कीर्ति आजाद और शत्रुघ्न सिन्हा को बंगाली भाषा में भाषण देने की चुनौती देनी चाहिए।
सुकांत ने कहा कि बंगाल को बंगाली ही चलाएंगे, लेकिन ममता बनर्जी को सत्ता से विदाई देने के बाद।
नेपाल हिंसा पर उन्होंने कहा कि इस मामले में पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। हम चाहते हैं कि हमारे पड़ोसी देशों में शांति बनी रहे।
उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि हम वोट डालकर ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करेंगे।
मजूमदार ने कहा कि ममता हर चुनाव से पहले बंगाली अस्मिता का मुद्दा उठाकर वोट पाने का प्रयास करती हैं, लेकिन उनके कार्य इस दावे के विपरीत हैं।
टीएमसी सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उन्हें बंगालियों की भावनाओं की परवाह होती, तो यूसुफ पठान को लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाता।
मजूमदार ने दावा किया कि यूसुफ पठान, जो गुजरात से हैं, को बंगाल से टिकट देकर ममता ने बंगालियों की उपेक्षा की। उन्होंने कहा कि यूसुफ पठान ने शपथ लेने के बाद 'जय गुजरात' कहा। हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्हें यह पूछना चाहिए कि जब आप बंगाल से जीते हैं, तो 'जय गुजरात' क्यों कहा? आपको 'जय बंगाल' कहना चाहिए था।