क्या पश्चिम बंगाल में एसआईआर जारी रखने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर पर रोक लगाने से मना किया।
- शाहनवाज हुसैन ने इस निर्णय का स्वागत किया।
- ममता बनर्जी ने हार के बहाने बनाने की कोशिश की।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विवाद जारी है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में एसआईआर पर रोक लगाने से मना कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया और ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोला।
शाहनवाज हुसैन ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने बिल्कुल सही निर्णय लिया है। टीएमसी सरकार एसआईआर को लेकर लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। जब विपक्षी नेता कोर्ट गए, तो सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर पर रोक लगाने से मना कर दिया। यह निर्णय स्वागतयोग्य है।"
उन्होंने कहा, "एसआईआर से टीएमसी को डर किस बात का है? बिहार में भी एसआईआर हुआ। ऐसा नहीं है कि हम बिहार में एसआईआर के कारण जीते, बल्कि हम अपने कार्य और सुशासन के कारण जीते। हमने गरीबों की चिंता की, विकास किया और उद्योग लगाए, जिस पर लोगों ने हमें वोट दिया। लोगों को हमसे उम्मीद थी। उन्होंने देखा कि बिहार में जंगलराज पार्ट-2 की वापसी नहीं करनी है, इसलिए उन्होंने हमें वोट दिया। जनता एसआईआर होने से खुश है।
उन्होंने सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, "ममता बनर्जी को अब पता चल चुका है कि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हारने वाली हैं। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद उन्हें डर लग रहा है। वह पहले से हार का बहाना बना रही हैं। ममता बनर्जी हार का ठीकरा चुनाव आयोग और एसआईआर के खिलाफ फोड़ने की कोशिश कर रही हैं।"
उन्होंने कहा, "बंगाल में जंगलराज है, जिसे समाप्त करना है। बंगाल के लोग चाहते हैं कि भाजपा सरकार बने। पश्चिम बंगाल में एसआईआर हो रहा है, तो ममता बनर्जी को परेशानी क्यों है? वह इस बात से चिंतित हैं कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम न कट जाएं। बहुत से बांग्लादेशी भाग रहे हैं, जिससे उन्हें लग रहा है कि उनके वोटर भाग रहे हैं। सीएम ममता बनर्जी सिर्फ वोटबैंक की राजनीति करती हैं। इस बार उनकी वोटबैंक की राजनीति नहीं चलने वाली है। पश्चिम बंगाल में इस बार भाजपा सरकार आने वाली है।