क्या सुप्रीम कोर्ट परिसर में आवारा कुत्तों के कारण डॉग बाइट का खतरा बढ़ गया है?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट परिसर में आवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- वकील अभिषेक शर्मा ने त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
- डॉग बाइट का खतरा लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन न होना चिंता का कारण है।
- सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट के परिसर में आवारा कुत्तों की उपस्थिति ने वकीलों और अन्य लोगों के लिए गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक शर्मा ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने बताया कि यहां आने वाले वकीलों और मीडिया कर्मियों को डॉग बाइट का खतरा है।
अभिषेक शर्मा ने रजिस्ट्रार को पत्र में लिखा, "यह अत्यंत चिंताजनक है कि सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आधिकारिक निर्देश में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया गया है। इसके बावजूद, आवारा कुत्ते कोर्ट परिसर में खुलेआम घूमते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने कोर्ट परिसर में आवारा कुत्तों के झुंड की तस्वीरें भी खींची।"
शर्मा ने कहा, "यह न केवल प्रशासनिक चूक है, बल्कि यह वकीलों, मुवक्किलों, कोर्ट कर्मचारियों, मीडियाकर्मियों और आम जनता के लिए एक संभावित खतरा है। विशेष रूप से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को इन कुत्तों से जोखिम है, क्योंकि देशभर में कुत्तों के हमले की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद, जो आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में भेजने का निर्देश देते हैं, परिसर में इनकी मौजूदगी कोर्ट के आदेशों की अवमानना है। यह कोर्ट की गरिमा और उसके आदेशों की विश्वसनीयता को कमजोर करता है।
अभिषेक शर्मा ने मांग की है कि कोर्ट परिसर से सभी आवारा कुत्तों को तुरंत आश्रय स्थलों में भेजा जाए। सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए जाने चाहिए। साथ ही, परिसर में स्थायी निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए।
उन्होंने अपने पत्र के साथ कुत्तों की तस्वीरें भी भेजी हैं और आशा जताई है कि कोर्ट की सुरक्षा और सम्मान के लिए जल्द कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा है कि दिल्ली-एनसीआर के हर क्षेत्र से आवारा कुत्तों को उठाना प्रारंभ किया जाए और उन्हें किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए। इस प्रक्रिया में किसी भी संगठन या व्यक्ति द्वारा बाधा डालने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।