क्या खर्राटे सिर्फ आवाज हैं या श्वसन मार्ग की रुकावट का संकेत?
सारांश
Key Takeaways
- खर्राटे श्वसन मार्ग की रुकावट का संकेत हैं।
- सोने की स्थिति का ध्यान रखें।
- अणु का तेल और घरेलू उपायों का उपयोग करें।
- खर्राटे के साथ अन्य लक्षणों पर ध्यान दें।
- समस्या बढ़ने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। खर्राटे आने की समस्या को साधारण समझा जाता है। लेकिन इसके लिए लोग डॉक्टर से संपर्क नहीं करते। यह धारणा है कि शारीरिक और मानसिक थकान से खर्राटे होते हैं, जबकि यह सच नहीं है।
रात के खर्राटे केवल शोर नहीं हैं, बल्कि यह संकेत है कि श्वसन मार्ग अवरुद्ध है। जब श्वसन मार्ग में रुकावट होती है, तो सांस लेने में कठिनाई होती है और इससे खर्राटे की आवाज उत्पन्न होती है।
आयुर्वेद के अनुसार, खर्राटे कफ और वात दोष के असंतुलन से जुड़े हैं। जब ये दोष संतुलित होते हैं, तो व्यक्ति गहरी नींद में होता है और खर्राटों का शोर नहीं सुनता। खर्राटों के साथ-साथ, सुबह गले का सूखापन या भारीपन की समस्या भी हो सकती है। कभी-कभी सोते समय सांस रुकने या झटके लगने की समस्या भी देखी जाती है, ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
खर्राटे सोने की स्थिति पर भी निर्भर करते हैं। सोने के तरीके का ध्यान रखना जरूरी है। आयुर्वेद और विज्ञान दोनों बाईं तरफ करवट लेकर सोने की सलाह देते हैं, जिससे खर्राटे में कमी आती है।
नाक में अणु का तेल डालने से भी खर्राटों में कमी आती है। यह गले और नाक के सूखापन को कम करता है, जिससे सांस लेने में समस्या नहीं होती। नास्य थेरेपी गहरी नींद लाने में भी मददगार है। इसके अलावा, गरारे और भाप लेने से भी राहत मिलती है। रात को गुनगुने पानी में हल्दी और नमक डालकर गरारे करने से गले का संक्रमण और सूजन कम होती है। सोने से पहले भाप लेने से श्वसन नली को आराम मिलता है।
दिन में दो बार शहद और अदरक का रस लेने से भी आराम मिलेगा। यह गले को साफ करने और सूखापन कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही, रात के समय भारी और तैलीय खाने से परहेज करना चाहिए। खर्राटों से राहत पाने के लिए तेल मालिश भी एक बेहतरीन उपाय है। इसके लिए रात को गुनगुने नारियल या सरसों के तेल से गर्दन की मालिश करें, जिससे गर्दन के हिस्से में रक्त का संचार बेहतर होगा।