क्या सुप्रीम कोर्ट सोनम वांगचुक की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।
- याचिका में वांगचुक की हिरासत को गैर-कानूनी बताया गया है।
- केंद्र सरकार ने अधिक समय मांगा था।
- लद्दाख प्रशासन ने वांगचुक की हिरासत का समर्थन किया है।
- वांगचुक की स्थिति पर नज़र रखी जा रही है।
नई दिल्ली, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो द्वारा दायर याचिका पर फिर से सुनवाई करेगा। इस याचिका में लेह के क्लाइमेट एक्टिविस्ट की हिरासत को चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित सूची के अनुसार, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच 8 दिसंबर को मामले की सुनवाई करेगी।
पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिटीशनर की ओर से हाल ही में प्रस्तुत किए गए जवाब पर प्रतिक्रिया देने के लिए अधिक समय मांगा था।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की बेंच ने उनकी बात को मानते हुए केस को आगे के लिए टाल दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 दिसंबर को होगी।
कोर्ट ने पहले अंगमो को अपनी पिटीशन में संशोधन करने की अनुमति दी थी, जिसमें वांगचुक की हिरासत को 'गैर-कानूनी' और 'उनके फंडामेंटल राइट्स का उल्लंघन करने वाली एक मनमानी कार्रवाई' बताया गया था। केंद्र, यूटी प्रशासन और जेल अधिकारियों को अपने अतिरिक्त जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया था।
29 अक्टूबर को, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर याचिका में संशोधन करके नई याचिका दाखिल करने की अनुमति दी जाएगी। इसके बाद सरकार को 10 दिन में नया जवाब दाखिल करना होगा। यदि किसी अन्य बात पर प्रकाश डालना है, तो एक सप्ताह में जवाब दाखिल किया जा सकता है। केस अब 24 नवंबर को सुनवाई के लिए लगेगा।
अपनी नई पिटीशन में अंगमो ने कहा है कि डिटेंशन ऑर्डर बिना सोचे-समझे पास किया गया था और एनएसए के तहत आवश्यक प्रक्रियागत सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि अधिकारियों ने जल्दबाजी में काम किया है, समय पर और सही तरीके से डिटेंशन के सही कारण नहीं बताए, जिससे वांगचुक को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला।
लद्दाख प्रशासन ने अपने पहले के हलफनामे में कहा था कि लेह में अशांति भड़काने में वांगचुक की कथित भूमिका को देखते हुए हिरासत सही थी।
गौरतलब है कि जाने-माने एनवायरनमेंटलिस्ट और एजुकेशन रिफॉर्मर वांगचुक को सितंबर में हिरासत में लिया गया था और बाद में राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।