क्या सूरत में बीआरटीएस की पहल से महिलाओं के लिए महिला ड्राइवरों वाली बसें चलेंगी?
सारांश
Key Takeaways
- सूरत में महिला ड्राइवरों वाली बस सेवा की शुरुआत हुई है।
- यह पहल महिला सशक्तीकरण के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाती है।
- महिला ड्राइवरों के लिए विशेष प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है।
- निशा शर्मा पहली महिला ड्राइवर बनी हैं।
- यह सेवा केवल महिला यात्रियों के लिए है।
सूरत, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के सूरत शहर में महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए महानगरपालिका ने बीआरटीएस बस सेवा में नई पहल की है। अब महिलाओं के लिए चलने वाली विशेष बस का संचालन केवल महिला ड्राइवर ही करेंगी। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तीकरण के विजन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
राज्य में पहली बार सूरत में ऐसा प्रयोग शुरू किया जा रहा है, जिसके तहत 12 मीटर लंबी महिलाओं के लिए निर्धारित बस की कमान महिला ड्राइवर के हाथों में होगी। सूरत महानगरपालिका के ट्रांसपोर्टेशन कमेटी के चेयरमैन सोमनाथ मराठे ने बताया कि वर्तमान में शहर में 13 बीआरटीएस रूट्स पर 450 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें संचालित हो रही हैं, जिनमें से 150 बसें 12 मीटर की हैं। इनमें से तीन बसें ओएनजीसी से सरथाणा रूट पर केवल महिला यात्रियों के लिए चालू की गई हैं।
मराठे ने बताया कि इन बसों को अब तक पुरुष ड्राइवर संचालित करते थे, लेकिन लंबे समय से महिला ड्राइवरों की तलाश की जा रही थी। इंदौर से प्रशिक्षित महिला ड्राइवर के रूप में निशा शर्मा की नियुक्ति कर इस पहल को शुरू किया गया है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के माध्यम से दुनिया को भारतीय महिला की शक्ति का परिचय कराया है। उसी दिशा में सूरत में पहल की गई है।
सूरत की पहली महिला बीआरटीएस बस ड्राइवर बनीं निशा शर्मा ने इस अवसर को अपने जीवन का महत्वपूर्ण क्षण बताया। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि देशभर में आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया है और मुझे ड्राइविंग करने में खुशी मिलती है।
निशा ने बताया कि वह बीआरटीएस इंदौर में चार साल तक बस ड्राइवर के रूप में काम कर चुकी हैं। सूरत में यह उनका पहला अनुभव होगा।
उन्होंने कहा कि सूरत मेरे लिए नया शहर है, इसलिए शुरुआत में रूट समझने में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन अनुभव के चलते ज्यादा चुनौती नहीं होगी। बस को गति सीमा में और सावधानीपूर्वक चलाना जरूरी रहेगा।
निशा का मानना है कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की क्षमता रखती हैं, बस उन्हें स्वयं पर विश्वास करने की जरूरत है।