क्या तमिलनाडु 1 सितंबर से कैदियों के पुनर्जनन के लिए 'पायलट काउंसलिंग' योजना शुरू करेगा?

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क्या तमिलनाडु 1 सितंबर से कैदियों के पुनर्जनन के लिए 'पायलट काउंसलिंग' योजना शुरू करेगा?

सारांश

तमिलनाडु 1 सितंबर को एक नई 'पायलट योजना' का शुभारंभ करने जा रहा है, जिसका उद्देश्य तीन साल या उससे अधिक समय जेल बिताने वाले दोषियों के लिए पुनर्जनन काउंसलिंग प्रदान करना है। यह पहल कैदियों के सामाजिक पुनर्वास में मदद करेगी।

Key Takeaways

  • तमिलनाडु में नई 'पायलट काउंसलिंग योजना' शुरू होगी।
  • यह योजना जेल में लंबे समय बिताने वाले दोषियों के लिए है।
  • प्रत्येक कैदी को तीन काउंसलिंग सत्र दिए जाएंगे।
  • राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा मनोवैज्ञानिक का सहयोग।
  • समाज में पुनर्वास और पुनः अपराध की दर को कम करने का प्रयास।

चेन्नई, 31 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु 1 सितंबर को एक नई 'पायलट योजना' की शुरुआत करने जा रहा है। यह योजना उन दोषियों के लिए है जिन्होंने तीन साल या उससे अधिक समय जेल में बिताया है, और इसका उद्देश्य पूर्व-रिलीज और पोस्ट-रिलीज काउंसलिंग प्रदान करना है।

यह पहल भारत में अपनी तरह का अनूठा प्रयास है, जिसका लक्ष्य समाज में कैदियों के पुनर्वास को बेहतर बनाना और पुनः अपराध की संभावना को कम करना है।

इस योजना को तमिलनाडु डिस्चार्ज्ड कैदर्स एड सोसाइटी (टीएनडीपीएएस) द्वारा लागू किया जाएगा, जिसमें राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएमएचए) द्वारा मान्यता प्राप्त मनोवैज्ञानिकों की सहायता ली जाएगी।

जेल के महानिदेशक महेश्वर दयाल के अनुसार, इस कार्यक्रम की निगरानी प्रभाव के मूल्यांकन और आवश्यक सुधारों के लिए एक पायलट के रूप में की जाएगी।

प्रारंभिक चरण में, 1 सितंबर से शुरू होकर, लगभग 350 कैदी शामिल होंगे, जो शीघ्र रिहा होने वाले हैं। हर कैदी को तीन काउंसलिंग सत्र प्राप्त होंगे - एक रिहाई से पहले और दो बाद में, ताकि वे जेल के बाहर की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो सकें।

अधिकारियों के अनुसार, 800 से अधिक एसएमएचए से मान्यता प्राप्त मनोवैज्ञानिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उपलब्ध होंगे।

राज्य सरकार ने इस पायलट के लिए 10 लाख रुपए का बजट निर्धारित किया है। प्रति सत्र 1,000 रुपए की दर से, प्रति कैदी परामर्श की कुल लागत 3,000 रुपए होगी।

जेल के मनोवैज्ञानिक उन व्यक्तियों की पहचान भी करेंगे, जिन्हें प्रारंभिक सत्रों के बाद दीर्घकालिक सहायता की आवश्यकता है।

अधिकारियों ने बताया कि जेल में दी जाने वाली काउंसलिंग मुख्य रूप से जेल से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित होती है, जबकि रिहा होने वाले कैदियों को सामाजिक कलंक, परिवार का समर्थन न मिलना, और रोजगार पाने में कठिनाई जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

यह नई काउंसलिंग सेवा इन चुनौतियों को दूर करने के लिए है। विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत किया है।

विजय राघवन, सेंटर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड जस्टिस के प्रोफेसर, ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया है, विशेषकर उन महिला कैदियों के लिए जो रिहाई के बाद गंभीर सामाजिक कलंक का सामना करती हैं।

Point of View

बल्कि समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पुनः अपराध की दर को कम करने में मदद कर सकता है। ऐसे प्रयासों की आवश्यकता है ताकि हम एक समावेशी समाज की दिशा में आगे बढ़ सकें।
NationPress
01/09/2025

Frequently Asked Questions

इस योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का उद्देश्य जेल में तीन साल या उससे अधिक समय बिताने वाले दोषियों को पूर्व-रिलीज और पोस्ट-रिलीज काउंसलिंग प्रदान करना है।
कौन इस योजना को लागू करेगा?
यह योजना तमिलनाडु डिस्चार्ज्ड कैदर्स एड सोसाइटी (टीएनडीपीएएस) द्वारा लागू की जाएगी।
कितने कैदी इस योजना का लाभ उठाएंगे?
पहले चरण में लगभग 350 कैदी इस योजना का लाभ उठाएंगे।
काउंसलिंग सत्रों की संख्या क्या होगी?
हर कैदी को तीन काउंसलिंग सेशन दिए जाएंगे - एक रिहाई से पहले और दो बाद में।
इस योजना के लिए बजट क्या है?
राज्य सरकार ने इस पायलट योजना के लिए 10 लाख रुपए का बजट निर्धारित किया है।