क्या तमिलनाडु के इस मंदिर में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर एक साथ विराजमान हैं?

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क्या तमिलनाडु के इस मंदिर में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर एक साथ विराजमान हैं?

सारांश

दीपावली और धनतेरस के दौरान मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा का विशेष महत्व होता है। जानें तमिलनाडु के अद्भुत मंदिर के बारे में, जहां ये दोनों देवता एक साथ भक्तों को दर्शन देते हैं।

Key Takeaways

  • मंदिर की विशेषता है कि यहां मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर एक साथ विराजमान हैं।
  • दीपावली पर खास अनुष्ठान और पूजा होती है।
  • भगवान कुबेर को प्रसन्न करने के लिए हरे रंग का उपयोग किया जाता है।
  • मंदिर का निर्माण राजलक्ष्मी कुबेर ट्रस्ट द्वारा किया गया है।
  • यह मंदिर पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपावली और धनतेरस का त्योहार नजदीक है। इस खास अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा का विशेष महत्व होता है। तमिलनाडु में एक ऐसा अद्भुत मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर एक साथ भक्तों को दर्शन देते हैं। यह दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध मंदिर है।

यह श्रीलक्ष्मी कुबेर मंदिर चेन्नई के रत्नमंगलम और वंडालूर के पास स्थित है। दीपावली के दिन यहां विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जिसमें मंदिर को फूलों से सजाया जाता है ताकि मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर को प्रसन्न किया जा सके। माना जाता है कि जो भक्त इस दिन उनकी पूजा करता है, उसकी झोली धन-धान्य और समृद्धि से भर जाती है। इस अवसर पर यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है, जो आर्थिक तंगी से निपटने के लिए मां लक्ष्मी के दर पर आते हैं।

मंदिर में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमाएं काले पत्थर से बनी हैं। भगवान कुबेर अकेले नहीं, बल्कि अपनी पत्नी सिद्धरानी के साथ विराजित हैं। यहां धन को आकर्षित करने वाली मछली और कछुए की प्रतिमाएं भी रखी गई हैं, जो धन और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। भक्त आमतौर पर अपने घरों में क्रिस्टल कछुआ रखते हैं। कहा जाता है कि मछलियों को आटा खिलाने से धन में वृद्धि होती है और घर सुख-समृद्धि से भर जाता है।

यहां की मान्यता है कि भगवान कुबेर को प्रसन्न करने के लिए हरे रंग का उपयोग किया जाता है। भक्त हरे कपड़े और हरी पत्तियां अर्पित करते हैं। वहीं, मां लक्ष्मी को कमल के फूल प्रिय होते हैं और पूजा में इनका उपयोग किया जाता है। यह मंदिर पर्यटन के लिहाज से भी खास है, क्योंकि इसका क्षेत्रफल 4,000 वर्ग फुट है और निर्माण में 30 लाख रुपये से अधिक खर्च हुए हैं। राजलक्ष्मी कुबेर ट्रस्ट ने इसका निर्माण कराया है, जो आज भी इसकी देखरेख कर रहा है।

Point of View

हम हमेशा देश की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक विविधता को महत्व देते हैं। इस तरह के मंदिरों से न केवल आस्था का संचार होता है, बल्कि ये आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देते हैं।
NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

तमिलनाडु के इस मंदिर में कौन-कौन से देवता हैं?
इस मंदिर में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर एक साथ विराजमान हैं।
दीपावली पर इस मंदिर में क्या विशेष अनुष्ठान होते हैं?
दीपावली के दिन मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
क्या इस मंदिर में दर्शन करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं?
माना जाता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों की आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।