क्या केरल में कुत्ते के काटने से हुई मौतों के बाद तमिलनाडु ने रेबीज रोकथाम पर एडवाइजरी जारी की?

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क्या केरल में कुत्ते के काटने से हुई मौतों के बाद तमिलनाडु ने रेबीज रोकथाम पर एडवाइजरी जारी की?

सारांश

केरल में रेबीज के कारण हुई दो मौतों के बाद, तमिलनाडु ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक सख्त सलाह जारी की है। यह सलाह कुत्ते के काटने की पहचान और उपचार के महत्व को रेखांकित करती है। जानें क्या हैं मुख्य दिशा-निर्देश और क्यों हैं ये जरूरी।

Key Takeaways

  • रेबीज
  • टीका समय पर लगाना आवश्यक है।
  • घाव को साबुन से धोना जरूरी है।
  • बच्चों को अधिक खतरा होता है।
  • सभी स्वास्थ्य केंद्रों को नियमों का पालन करना चाहिए।

चेन्नई, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केरल में रेबीज के कारण दो व्यक्तियों की मौत के बाद, तमिलनाडु के सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा निदेशालय ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक सख्त सलाह जारी की है।

इस सर्कुलर में कुत्ते के काटने की पहचान के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण तथा समय पर पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसमें रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन (आरआईजी) और एंटी-रेबीज वैक्सीन (एआरवी) शामिल हैं।

सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक डॉ. टीएस सेल्वाविनायगम ने स्वास्थ्य अधिकारियों को बताया कि रेबीज एक बेहद घातक वायरल बीमारी है जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। इसके लक्षण प्रकट होने के बाद बचने की संभावना बहुत कम होती है।

उन्होंने कहा कि रेबीज का टीका तभी प्रभावी हो सकता है जब इसे सही समय पर और सही तरीके से दिया जाए।

यह एडवाइजरी उन दो लड़कों की मौत के बाद जारी की गई है जिन्हें आवारा कुत्तों ने काटा था।

मौत का मुख्य कारण पीईपी में देरी, श्रेणी III मामलों में आरआईजी ना देना, घाव की सही सफाई ना करना, और टीके की खुराक छूटना या देरी होना था।

स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को याद दिलाया गया है कि गहरे या खून बहने वाले घावों में आरआईजी का होना बहुत आवश्यक है, खासकर शुरुआती दिनों में जब तक टीके से रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती।

आरआईजी के बिना, टीकाकरण के बाद भी वायरस नर्वस सिस्टम तक फैल सकता है। अधिकारियों ने बताया कि चेहरे या सिर पर घाव होने पर तुरंत और गहन उपचार की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ दिनों की देरी भी टीके को बेअसर कर सकती है।

रेबीज को रोकने का सबसे महत्वपूर्ण पहला कदम है घाव को कम से कम 15 मिनट तक साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना।

एडवाइजरी में कहा गया है कि बच्चों को कुत्ते के काटने से रेबीज का खतरा ज्यादा होता है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वे काटने की सही जानकारी नहीं दे पाते।

स्वास्थ्य निदेशालय ने कुत्ते के काटने की गंभीरता की जांच करने के लिए दिशा-निर्देशों को दोहराया है।

श्रेणी I: जानवर को छूने, खाना खिलाने या साफ त्वचा पर चाटने पर कोई उपचार जरूरी नहीं।

श्रेणी II: मामूली खरोंच या घाव बिना खून के हो, तो रेबीज वैक्सीन (एआईवी) देनी होगी।

श्रेणी III: अगर कुत्ते के काटने या खरोंच से खून निकले, या टूटी त्वचा पर चाटा हो, तो रेबीज वैक्सीन (एआरवी) के साथ रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन (आरआईजी) देना अनिवार्य है।

सभी स्वास्थ्य केंद्रों को इन नियमों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी गई है ताकि रेबीज से होने वाली मौतों को रोका जा सके।

Point of View

NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

रेबीज क्या है?
रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। इसके लक्षण दिखने के बाद बचने की संभावना बहुत कम होती है।
कुत्ते के काटने के बाद क्या करें?
घाव को तुरंत और अच्छी तरह से साबुन और पानी से धोएं।
रेबीज टीका कब लगाना चाहिए?
कुत्ते के काटने के तुरंत बाद टीका लगाना चाहिए, खासकर श्रेणी III में।
बच्चों को रेबीज से बचाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए उन्हें कुत्ते के काटने से तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
कुत्ते के काटने की श्रेणियाँ क्या हैं?
श्रेणी I, II, III के अनुसार उपचार की आवश्यकता होती है।