क्या तमिलनाडु के स्कूलों में 'तेल, चीनी, नमक' बोर्ड लगाए जाएंगे?

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क्या तमिलनाडु के स्कूलों में 'तेल, चीनी, नमक' बोर्ड लगाए जाएंगे?

सारांश

तमिलनाडु का खाद्य सुरक्षा विभाग कोयंबटूर के स्कूलों में 'तेल, चीनी, नमक' बोर्ड लगाने जा रहा है। यह पहल छात्रों को स्वस्थ खान-पान के प्रति जागरूक करने और मोटापे से बचाव के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी। जानें इस अभियान के उद्देश्य और इसके पीछे का विज्ञान।

Key Takeaways

  • स्वस्थ खान-पान को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड लगाए जाएंगे।
  • बच्चों को मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरूक किया जाएगा।
  • सभी स्कूलों में जागरूकता सत्र आयोजित किए जाएंगे।
  • बोर्ड पर आकर्षक चित्र और सूचनाएँ होंगी।

चेन्नई, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। छात्रों में स्वस्थ खान-पान की आदतों को प्रोत्साहित करने और खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, तमिलनाडु का खाद्य सुरक्षा विभाग जल्द ही कोयंबटूर जिले के सभी शैक्षणिक संस्थानों में 'तेल, चीनी और नमक' बोर्ड लगाने जा रहा है।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों को उच्च वसा (हाई फैट), उच्च चीनी (हाई शुगर), और उच्च नमक (हाई सॉल्ट) वाले आहार के दुष्परिणामों से अवगत कराना है। विभाग का मानना है कि महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर बचपन से ही मोटापे और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान (आईसीएमआर-एनआईएन) के सहयोग से भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इन बोर्ड्स का विकास किया है, जिन पर सूचनात्मक पोस्टर लगाए जाएंगे और डिजिटल डिस्प्ले भी होगा।

ये बोर्ड चीनी, नमक और तेल के अनुशंसित दैनिक सेवन (रिक्मेंडेड डेली इनटेक) पर ध्यान केंद्रित करेंगे और बताएंगे कि इनका अधिक सेवन स्वास्थ्य पर कैसे प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिसमें मोटापा, टाइप-2 मधुमेह और हृदय रोगों का खतरा बढ़ना शामिल है।

बच्चों के लिए संदेशों को अधिक आकर्षक और सुलभ बनाने के लिए, बोर्ड्स पर आकर्षक चित्र और कार्टून लगाए जाएंगे। अधिकारियों का मानना है कि यह विजुअल प्रेजेंटेशन छात्रों को खाद्य सुरक्षा और पोषण की अवधारणाओं को आसानी से समझने में मदद करेगा।

यह अभियान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निर्देशों के अनुसार चलाया जा रहा है, जिसने सभी संबंधित स्कूलों को जागरूकता बोर्ड स्थापित करने का निर्देश दिया है।

कोयंबटूर के जिला कलेक्टर पवनकुमार जी. गिरियप्पनवर ने जिले भर के स्कूलों में इस अभियान को तुरंत शुरू करने का आदेश दिया है। कोयंबटूर के खाद्य सुरक्षा विभाग की नामित अधिकारी डॉ. टी. अनुराधा ने कहा, "उच्च वसा, चीनी या नमक (एचएफएसएस) वाले खाद्य पदार्थों का सेवन मोटापे और अन्य गैर-संचारी रोगों का एक प्रमुख कारण है। यह पहल छात्रों को जोखिमों को समझने और स्वास्थ्यवर्धक भोजन चुनने में मदद करेगी। प्रत्येक तालुका में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों (एफएसओ) को बोर्ड लगाने की निगरानी करने और नियमित रूप से जागरूकता सत्र आयोजित करने का निर्देश दिया गया है।"

इसके अलावा, एफएसओ स्कूल कैंटीनों की निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन करते हैं।

एफएसएसएआई ने सार्वजनिक संस्थानों में अक्सर तैलीय, नमकीन या मीठे भोजन की जगह एक स्वस्थ भोजन का मॉडल भी सुझाया है। इस अभियान का प्रचार सोशल मीडिया टैगलाइन 'स्टॉप ओबेसिटी एंड ईट राइट इंडिया' के तहत किया जा रहा है और इसे इसी सप्ताह कोयंबटूर के स्कूलों में शुरू किया जाएगा।

Point of View

बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर आहार संबंधी समस्याओं को भी हल करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। ऐसे अभियानों की आवश्यकता है ताकि स्वस्थ आदतें हमारे बच्चों में बचपन से ही विकसित हो सकें।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

ये बोर्ड कितने स्कूलों में लगाए जाएंगे?
ये बोर्ड कोयंबटूर जिले के सभी शैक्षणिक संस्थानों में लगाए जाएंगे।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य छात्रों को स्वस्थ खान-पान की आदतों के महत्व के बारे में जागरूक करना है।
बोर्डों पर क्या जानकारी होगी?
बोर्डों पर तेल, चीनी और नमक के अनुशंसित दैनिक सेवन और इनके दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी होगी।
इस अभियान का प्रचार कैसे किया जाएगा?
इसका प्रचार सोशल मीडिया टैगलाइन 'स्टॉप ओबेसिटी एंड ईट राइट इंडिया' के तहत किया जाएगा।