क्या टैरिफ में बढ़ोतरी दबाव बनाने की कोशिश है, हमें देश हित को देनी चाहिए प्राथमिकता?

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क्या टैरिफ में बढ़ोतरी दबाव बनाने की कोशिश है, हमें देश हित को देनी चाहिए प्राथमिकता?

सारांश

भारत पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 25 प्रतिशत टैरिफ बढ़ोतरी पर ब्रिक्स चैंबर के अध्यक्ष हरवंश चावला की प्रतिक्रिया। क्या यह एक रणनीति है या कुछ और? जानिए पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • अमेरिका द्वारा 25% टैरिफ की घोषणा भारत के लिए संजीवनी हो सकती है।
  • ब्रिक्स देशों का वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण स्थान है।
  • भारत को राष्ट्रहित को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • टैलेंट का रुख अब भारत की ओर है।
  • अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करना अमेरिका की नीति है।

नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष हरवंश चावला ने कहा कि यह कोई संयोग नहीं है; यह भारत पर अमेरिका के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाने और रूस के साथ हमारे व्यापारिक सौदों को कम करने की एक रणनीति है।

उन्होंने कहा, "हम भारत को विक्टिम कार्ड खेलने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज के समय में ब्रिक्स देश विश्व की 46 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और वैश्विक तेल व्यापार का 44 प्रतिशत संभालते हैं। ब्रिक्स देशों के बीच लगभग 30 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार होता है। हमारे प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण और रुख बिल्कुल सही है; हमें राष्ट्र के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस बहाने हमें अन्य देशों के साथ व्यापार शुरू करना चाहिए। केवल यूनाइटेड स्टेट्स पर निर्भर रहकर व्यापार या उन्नति नहीं कर सकते।"

उन्होंने आगे कहा कि यह कोई संदेह नहीं है कि टैरिफ की यह बढ़ोतरी भारत पर अमेरिका के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाने और रूस के साथ हमारे व्यापारिक सौदों को कम करने की एक दबाव वाली रणनीति है। टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। 20 से 21 दिन का समय दिया गया है, हमें इसके ऊपर नेगोशिएट करना चाहिए, हमें इस पर यूनाइटेड स्टेट्स के साथ बैठकर चर्चा करनी चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह सब दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि हमारा टैलेंट पहले अमेरिका या यूरोप जा रहा था, अब वह टैलेंट भारत में ही रहेगा। यह एक अलग नजरिया है और मेरा मानना है कि इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। हमारे यहां जो टैलेंट था वह पहले नौकरी के लिए बाहर जाता था, लेकिन अब उन्हें नौकरी भारत में ही मिलेगी।

वहीं, ओपी जिंदल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रभाष रंजन ने कहा कि अमेरिका ने रूस से भारत की तेल खरीद का हवाला देते हुए कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। लेकिन, तेल या हथियार खरीदना भारत का अपना निर्णय है। अगर अमेरिका इसके लिए भारत को दंडित करता है, तो यह विश्व व्यापार संगठन के नियमों और अंतर्राष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन है। ये टैरिफ पूरी तरह से अवैध हैं। भारत अपने हितों की रक्षा करने के लिए हमेशा तत्पर रहता है। भारत के पास ग्लोबल साउथ का लीडर बनने का सबसे बड़ा अवसर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन नहीं कर रहे हैं।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम भारत के राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दें। अमेरिका की रणनीतियाँ और उनके टैरिफ केवल दबाव बनाने के उपाय हैं, लेकिन हमें अपने विकास और समृद्धि के लिए अन्य विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए।
NationPress
07/08/2025

Frequently Asked Questions

अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने का उद्देश्य क्या है?
अमेरिका का उद्देश्य भारत को एफटीए पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाना और रूस के साथ व्यापार कम करना है।
क्या भारत को इस टैरिफ से डरना चाहिए?
हरवंश चावला के अनुसार, भारत को विक्टिम कार्ड खेलने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि हमें अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
भारत के लिए क्या संभावनाएं हैं?
भारत को अपने टैलेंट को बनाए रखने और अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ाने का अवसर है।