क्या तरनतारन फर्जी एनकाउंटर मामले में पूर्व एसएसपी-डीएसपी समेत पांच पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद मिली?

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क्या तरनतारन फर्जी एनकाउंटर मामले में पूर्व एसएसपी-डीएसपी समेत पांच पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद मिली?

सारांश

तरनतारन के फर्जी एनकाउंटर मामले में न्याय हुआ है। मोहाली की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने पूर्व पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। जानिए इस मामले की पूरी कहानी और क्या है इसके पीछे का सच।

Key Takeaways

  • फर्जी एनकाउंटर के मामले में न्याय हुआ है।
  • पंजाब पुलिस के पूर्व अधिकारियों को सजा मिली है।
  • सीबीआई की जांच ने प्रमाणित किया कि मुठभेड़ फर्जी थी।
  • यह निर्णय समाज में विश्वास को बढ़ावा देगा।
  • न्याय की प्रक्रिया में सख्ती आवश्यक है।

मोहाली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के तरनतारन में वर्ष 1993 के फर्जी एनकाउंटर मामले में मोहाली की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने दोषी ठहराए गए पंजाब पुलिस के पूर्व एसएसपी और डीएसपी समेत पांच सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद और प्रत्येक पर 3.5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।

फर्जी मुठभेड़ मामले में सेवानिवृत्त एसएसपी भूपिंदरजीत सिंह, सेवानिवृत्त डीएसपी देविंदर सिंह, सेवानिवृत्त एएसआई गुलबर्ग सिंह, सेवानिवृत्त एएसआई रघुबीर सिंह और सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर सूबा सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

इस मामले की जांच 30 जून 1999 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई थी, जो सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर 1996 के आदेश के आधार पर थी।

जांच में स्पष्ट हुआ कि इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने 27 जून 1993 को तरनतारन के सरहाली से शिंदर सिंह, सुखदेव सिंह और देसा सिंह का अपहरण किया था। इसी दिन बलकार सिंह उर्फ काला का भी अपहरण हुआ।

इसके अतिरिक्त, थाना वेरोवाल के एसएचओ सूबा सिंह ने जुलाई 1993 में सरबजीत सिंह उर्फ साबा और हरविंदर सिंह को अपहृत किया।

इसके बाद, तत्कालीन डीएसपी भूपिंदरजीत सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने 12 जुलाई 1993 को शिंदर सिंह, देसा सिंह, बलकार सिंह और मंगल सिंह को फर्ज़ी मुठभेड़ में मार गिराया।

अतः इसी पुलिस टीम ने 28 जुलाई 1993 को सुखदेव सिंह, सरबजीत सिंह उर्फ साबा और हरविंदर सिंह को भी मारा। सीबीआई ने 31 मई 2002 को 10 आरोपी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया, जिनमें से पांच का मुकदमे के दौरान निधन हो गया।

Point of View

यह कहना उचित है कि न्याय का यह फैसला समाज में विश्वास को मजबूत करेगा। फर्जी एनकाउंटर जैसे मामलों में सख्त कार्रवाई आवश्यक है ताकि पुलिस पर से जनता का विश्वास बना रहे।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

तरनतारन फर्जी एनकाउंटर मामला क्या है?
यह मामला 1993 में हुआ था, जिसमें पंजाब पुलिस के अधिकारियों द्वारा फर्जी मुठभेड़ में निर्दोष लोगों की हत्या की गई थी।
सीबीआई ने कब जांच शुरू की थी?
सीबीआई ने इस मामले की जांच 30 जून 1999 को शुरू की थी।
इस मामले में सजा किसे सुनाई गई है?
इस मामले में पूर्व एसएसपी, डीएसपी और अन्य पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
क्या इस मामले में और भी आरोपी हैं?
इस मामले में कुल 10 आरोपी थे, जिनमें से पांच का निधन हो गया।
इस फैसले का समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह फैसला समाज में न्याय की उम्मीद को बढ़ाएगा और पुलिस व्यवस्था पर विश्वास को मजबूत करेगा।