क्या तौकीर रजा की गिरफ्तारी अन्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक परंपराओं पर हमला है?

सारांश
Key Takeaways
- तौकीर रजा की गिरफ्तारी लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल खड़ा करती है।
- शांतिपूर्ण धार्मिक आस्था को अपराधी ठहराना असंवैधानिक है।
- राजनीतिक स्वार्थों के लिए राज्य मशीनरी का दुरुपयोग हो रहा है।
- भारत की संविधान और बहुलवाद की ताकत को कमजोर किया जा रहा है।
- सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बरेली में मौलाना तौकीर रजा खान सहित कई लोगों की गिरफ्तारी की जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे अन्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक परंपराओं पर हमला बताते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की।
सैयद हुसैनी ने कहा कि 'आई लव मोहम्मद' जैसे सरल और श्रद्धापूर्ण नारे को सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा बताकर गिरफ्तारी करना गहरी चिंता का विषय है। शांतिपूर्ण धार्मिक आस्था को अपराध की श्रेणी में रखना भारत की बहुलवादी संस्कृति और सामाजिकता पर सीधा प्रहार है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मौलाना तौकीर रजा को पहले नजरबंद किया गया और फिर बिना उचित जांच के कठोर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। यह राज्य की शक्ति का बेतहाशा इस्तेमाल है, जिससे न केवल कानून का शासन कमजोर होता है बल्कि समाज में अविश्वास भी गहराता है।
जमात प्रमुख ने कहा कि देश ने हमेशा आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों का सामना किया है। अगर कहीं हिंसा या पथराव हुआ हो तो उसकी निंदा होनी चाहिए, लेकिन बिना जांच किसी पूरे समुदाय को अपराधी ठहराना असंवैधानिक है। उन्होंने इसे 'राजनीतिक स्वार्थों के लिए राज्य मशीनरी का दुरुपयोग' करार दिया और कहा कि चुनावी लाभ के लिए बार-बार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल खेला जाता है।
सैयद हुसैनी ने मुस्लिम समुदाय से शांति, संयम और पैगंबर मोहम्मद की करुणा और दया का अनुसरण करने की अपील की। साथ ही, उन्होंने सरकार से आरोपों को वापस लेने, निर्दोष बंदियों को तुरंत रिहा करने और शासन में समानता व न्याय बहाल करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि भारत की असली ताकत उसके संविधान, बहुलवाद और आपसी सम्मान में है। अगर इन्हें अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए कमजोर किया गया तो नुकसान सिर्फ एक समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का होगा।