क्या टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत इलाज का सक्सेस रेट 90 प्रतिशत तक पहुँच गया है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत में टीबी के मामलों में **21 प्रतिशत** की कमी हुई है।
- उपचार की सफलता दर **90 प्रतिशत** तक पहुँच गई है।
- टीबी का **इलाज कवरेज** बढ़कर 92 प्रतिशत हो गया है।
- **नवीनतम तकनीकों** का उपयोग किया जा रहा है।
- **निक्षय पोषण योजना** के तहत पोषण सहायता बढ़ाई गई है।
नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि भारत में टीबी के मामलों में महत्वपूर्ण कमी आई है। 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 237 के मुकाबले, यह संख्या 2024 में 21 प्रतिशत घटकर 187 प्रति लाख हो गई है, जो वैश्विक गिरावट की दर से लगभग दोगुना है।
भारत ने टीबी से होने वाली मृत्यु दर में भी वैश्विक कमी से अधिक सुधार किया है।
टीबी का इलाज कवरेज बढ़कर 92 प्रतिशत हो गया है, जिससे भारत अन्य उच्च-भार वाले देशों और वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज को पीछे छोड़ चुका है। 2024 में, 26.18 लाख से अधिक टीबी रोगियों का सफलता पूर्वक निदान किया गया है।
टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत, उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत तक पहुँच गई है, जो वैश्विक दर 88 प्रतिशत से भी अधिक है।
इस अभियान के तहत, नवीनतम तकनीकों का प्रयोग किया गया है, जैसे कि एआई-सक्षम रिपोर्टिंग वाले एक्स-रे उपकरण तथा 24.5 लाख रोगियों का निदान किया गया है, जिनमें 8.61 लाख लक्षणहीन टीबी के मामले शामिल हैं।
पिछले 9 वर्षों में, टीबी कार्यक्रम का वार्षिक बजट दस गुना बढ़ चुका है। निक्षय पोषण योजना के तहत, अप्रैल 2018 से 1.37 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 4,406 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की गई है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने टीबी रोगियों को पोषण सहायता भी प्रदान की है। निक्षय पोषण योजना के तहत, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) को प्रति रोगी 500 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
देश भर में, 2 लाख से अधिक माई भारत स्वयंसेवक निक्षय मित्र के रूप में टीबी रोगियों को मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सहायता प्रदान कर रहे हैं। यह युवाओं का आंदोलन टीबी उन्मूलन को जन आंदोलन बनाने के लिए समर्पित है, ताकि कोई भी रोगी अपने स्वास्थ्य लाभ की यात्रा में अकेला महसूस न करे।