क्या तेलंगाना हाईकोर्ट ने आईएएस अधिकारी वाई. श्रीलक्ष्मी की डिस्चार्ज याचिका खारिज की?

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क्या तेलंगाना हाईकोर्ट ने आईएएस अधिकारी वाई. श्रीलक्ष्मी की डिस्चार्ज याचिका खारिज की?

सारांश

तेलंगाना हाईकोर्ट ने आईएएस अधिकारी वाई. श्रीलक्ष्मी की डिस्चार्ज याचिका खारिज कर दी है। यह मामला ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी से जुड़ा है। जानिए इस मामले के पीछे क्या है और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।

Key Takeaways

  • तेलंगाना हाईकोर्ट ने वाई. श्रीलक्ष्मी की डिस्चार्ज याचिका खारिज की।
  • श्रीलक्ष्मी 2009 से जुड़े अवैध खनन मामले में आरोपी हैं।
  • सीबीआई ने उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने के लिए कहा है।
  • मामले में अन्य आरोपी भी शामिल हैं, जिनकी सजा सुनाई गई है।
  • इस घटनाक्रम का राजनीतिक प्रभाव भी पड़ सकता है।

हैदराबाद, 25 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आईएएस अधिकारी वाई. श्रीलक्ष्मी को ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) से जुड़े अवैध खनन मामले में एक महत्वपूर्ण झटका देते हुए उनकी डिस्चार्ज याचिका खारिज कर दी है।

अधिकारियों के अनुसार, श्रीलक्ष्मी ने सीबीआई की विशेष अदालत के अक्टूबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए खुद को आरोपी से मुक्त करने की मांग की थी।

श्रीलक्ष्मी वर्ष 2009 से जुड़े इस बहुचर्चित मामले में आरोपी नंबर 6 हैं। इस केस में मई 2025 में सीबीआई की विशेष अदालत ने कर्नाटक के भाजपा विधायक गाली जनार्दन रेड्डी सहित चार लोगों को सात-सात साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, उस समय विशेष अदालत ने श्रीलक्ष्मी की भूमिका पर कोई फैसला नहीं दिया था, क्योंकि उन्होंने पहले ही विशेष अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी।

हाईकोर्ट ने पहले श्रीलक्ष्मी की याचिका को स्वीकार करते हुए विशेष अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था। इसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने उनकी दलीलों को सुने बिना ही निर्णय दे दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में इस मामले को वापस हाईकोर्ट को भेज दिया और तीन महीने के भीतर याचिका पर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था।

सीबीआई ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि श्रीलक्ष्मी ने उस समय उद्योग विभाग की सचिव रहते हुए ओएमसी को अनुचित लाभ पहुंचाया। एजेंसी के अनुसार, श्रीलक्ष्मी और तत्कालीन खान निदेशक डी. राजगोपाल ने अन्य आवेदकों से बड़ी रिश्वत मांगी, जबकि ओएमसी और इसके प्रमोटरों गली जनार्दन रेड्डीबीवी श्रीनिवास रेड्डी को विशेष लाभ दिए।

सीबीआई का दावा है कि उनकी इन कार्यवाहियों से ओएमसी को भारी वित्तीय लाभ हुआ, जिससे उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला बनता है।

इस केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने 6 मई 2025 को गाली जनार्दन रेड्डी, उनके रिश्तेदार बीवी श्रीनिवास रेड्डी (ओएमसी के प्रबंध निदेशक), डी. राजगोपाल (खनन विभाग के तत्कालीन निदेशक) और जनार्दन रेड्डी के सहायक अली खान को सात साल की सजा सुनाई थी।

वहीं, आंध्र प्रदेश की तत्कालीन गृह मंत्री साबिता इंद्रा रेड्डी और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बी. कृपानंदम को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। बाद में, तेलंगाना हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें सशर्त जमानत दे दी थी।

Point of View

बल्कि तेलंगाना राज्य की राजनीतिक स्थिति के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे यह स्पष्ट होता है कि कानून का शासन किस तरह से कार्य करता है और यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी है।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

वाई. श्रीलक्ष्मी कौन हैं?
वाई. श्रीलक्ष्मी एक आईएएस अधिकारी हैं, जो ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी से जुड़े अवैध खनन मामले में आरोपी हैं।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने उनकी याचिका क्यों खारिज की?
हाईकोर्ट ने उन्हें आरोपमुक्त करने से इनकार करते हुए उनकी डिस्चार्ज याचिका खारिज कर दी।
सीबीआई का इस मामले में क्या कहना है?
सीबीआई का आरोप है कि श्रीलक्ष्मी ने ओएमसी को अनुचित लाभ पहुंचाया।
क्या इस मामले में और कोई आरोपी हैं?
हां, इस मामले में गाली जनार्दन रेड्डी सहित अन्य आरोपी भी हैं।
इस मामले का राजनीतिक प्रभाव क्या हो सकता है?
इस मामले का राजनीतिक प्रभाव गहरा हो सकता है, जिससे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में प्रशासनिक सुधारों की मांग बढ़ सकती है।