क्या तेलंगाना के वरिष्ठ भाकपा नेता सुधाकर रेड्डी का निधन देश के लिए एक बड़ा नुकसान है?

सारांश
Key Takeaways
- सुधाकर रेड्डी का निधन भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षण है।
- उन्होंने नलगोंडा से दो बार सांसद के रूप में सेवा की।
- उनका जीवन वामपंथी आंदोलनों में समर्पित रहा।
- मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने उन्हें एक महान नेता के रूप में याद किया।
- उनकी विरासत हमेशा याद रखी जाएगी।
हैदराबाद, 23 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता सुरवरम सुधाकर रेड्डी का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। पार्टी के सूत्रों ने शनिवार को इस खबर की पुष्टि की। उनके निधन पर कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी इस पर गहरा दुख जताया।
मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना दी।
वे नलगोंडा जिले के निवासी थे और वामपंथी आंदोलनों तथा जनसंघर्षों में सक्रिय रूप से भाग लेकर एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे।
मुख्यमंत्री ने उन्हें एक महान नेता के रूप में याद किया, जो नलगोंडा से दो बार सांसद चुने गए। शोक व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा कि देश ने एक असाधारण नेता को खो दिया है, जिसने भारतीय राजनीति पर अपनी अद्वितीय छाप छोड़ी।
उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्का ने भी सुधाकर रेड्डी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके सफर को याद किया।
पूर्व मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता के. चंद्रशेखर राव ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने सुधाकर रेड्डी को 'तेलंगाना की धरती का सपूत' बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन को उत्पीड़ित समुदायों के उत्थान के लिए समर्पित किया।
सुधाकर रेड्डी 83 वर्ष के थे और पार्टी लाइन से हटकर कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
उन्होंने 2012 से 2019 तक पार्टी के महासचिव के रूप में सेवा की। उनका निधन एक निजी अस्पताल में हुआ, जहाँ वे वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों का इलाज करा रहे थे।
उनके परिवार में पत्नी विजयलक्ष्मी और दो बेटे हैं। वे 1998 और 2004 में नलगोंडा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार लोकसभा के लिए चुने गए।
सुधाकर रेड्डी का जन्म 25 मार्च, 1942 को तेलंगाना के महबूबनगर जिले के कांचुपाडु गांव में एक स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र के रूप में हुआ। उन्होंने अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसएफ) से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।
उन्होंने कुरनूल के उस्मानिया कॉलेज से बी.ए. किया और उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की।