क्या 'ठाकरे ब्रदर्स' अपने परिवार और नाम को बचाने के लिए यह आखिरी कोशिश कर रहे हैं? - शहजाद पूनावाला
सारांश
Key Takeaways
- ठाकरे ब्रदर्स अपने परिवार और नाम को बचाने के अंतिम प्रयास में हैं।
- भाजपा और महायुति की भारी जीत ने विरोधियों को एकजुट होने पर मजबूर किया है।
- उद्धव और राज ठाकरे के पास कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है।
- कांग्रेस और शिवसेना का एक साथ आना एक नई राजनीतिक दिशा को संकेत करता है।
- महाराष्ट्र की जनता जागरूक है, जो राजनीतिक बदलाव को प्रभावित कर सकती है।
नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की पार्टी मनसे के बीच गठबंधन पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि 'ठाकरे ब्रदर्स' अपने परिवार और नाम को बचाने के लिए यह अंतिम प्रयास कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में शहजाद पूनावाला ने कहा, "जब भारतीय जनता पार्टी और महायुति ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ऐतिहासिक भारी बहुमत हासिल किया, उससे भी पहले जब हमने विधानसभा में बड़ी जीत हासिल की, तो अब भाजपा के घोर विरोधी भी अपना अस्तित्व बचाने के लिए एक साथ आ रहे हैं।"
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के पास कोई मिशन या विजन नहीं है। वे सिर्फ अपनी पोजीशन बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
पूनावाला ने कहा, "कांग्रेस और शिवसेना का एक साथ आना कभी संभव नहीं माना जाता था। क्योंकि दोनों दलों में काफी असमानताएं हैं। इनमें एक दल (शिवसेना) हिंदुत्व और वीर सावरकर को पूजता है, जबकि दूसरा दल (कांग्रेस) हिंदुत्व और सावरकर को गाली देता है। लेकिन दो धुर विरोधी दल भी साथ आने को मजबूर हो गए।"
उन्होंने कहा कि फिलहाल उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अपने नाम व परिवार को बचाने के लिए साथ आ रहे हैं, लेकिन इससे महाराष्ट्र में ज्यादा असर नहीं पड़ा, क्योंकि राज्य की जनता बहुत जागरुक है।
शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस से भी सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के नेता कहते हैं कि लोगों के साथ गुंडागर्दी और भाषा के आधार पर मारपीट के वह खिलाफ हैं। लेकिन राज ठाकरे का उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन होने पर भी इस पार्टी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।"
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान का समर्थन करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मजहबी आधार पर देश के बंटवारे को कांग्रेस ने स्वीकार किया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के कार्यकाल में देश में सबसे ज्यादा हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए। आज भी मुस्लिम आरक्षण की बात कांग्रेस पार्टी करती है। कांग्रेस के नेता कहते हैं कि शरिया संविधान से ऊपर होना चाहिए। कांग्रेस ने ही वक्फ और सीएए जैसे कानूनों का विरोध किया।"
शहजाद पूनावाला ने 'बाबरी मस्जिद' को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान पर कहा, "पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हुमायूं कबीर को चुनाव से पहले बाबरी के नाम पर पूरे वोटबैंक को भड़काने की खुली छूट दे दी है।"