क्या आनंद दुबे ने कहा, ठाकरे मतलब मुंबई और मुंबई मतलब ठाकरे?

सारांश
Key Takeaways
- ठाकरे परिवार की पारिवारिक मुलाकातें सियासत में महत्वपूर्ण हैं।
- राजनीति से परे, विश्वास का महत्व है।
- कानून का पालन करना सभी के लिए जरूरी है।
मुंबई, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना-यूबीटी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के जन्मदिन के मौके पर, 13 साल बाद, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे 'मातोश्री' पहुंचे। इस घटना ने सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि एक भाई का जन्मदिन हो और दूसरा न आए, ऐसा सामान्यतः नहीं होता। ठाकरे का मतलब मुंबई है, और मुंबई का मतलब ठाकरे है।
प्रवक्ता आनंद दुबे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि यह सिर्फ एक पारिवारिक मुलाकात थी, इसके पीछे राजनीतिक अटकलें लगाना अनुचित है। कभी-कभी हमारी राजनीतिक मजबूरियां होती हैं और हमारे मंच अलग होते हैं। जब बात मराठी मानुष और महाराष्ट्र की अस्मिता की होती है, तो एक मंच पर आना स्वाभाविक है। कोई भी राजनीति हमारे देश और समाज से बड़ी नहीं है। हमारी सरकार गिरा दी गई, पार्टी और नाम तक चुरा लिए गए हैं, लेकिन जनता के दिल से विश्वास कैसे चुराओगे? जब भी ठाकरे परिवार में कोई कार्यक्रम होता है, तो सब एकत्रित होते हैं। दोनों ही बाला साहेब ठाकरे की गोद में पले-बढ़े नेता हैं, तो क्यों नहीं मिलेंगे। इस माहौल को देखकर कुछ लोगों को परेशानी हो रही है।
एनसीपी (सपा) नेता एकनाथ खडसे के दामाद को पुणे में रेव पार्टी में हिरासत में लिए जाने पर आनंद दुबे ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है, यह कानून और व्यवस्था का मुद्दा है। हालांकि, रेव पार्टी गलत है और लोगों को मादक पदार्थ का सेवन करवाना गलत है। अगर उसमें किसी नेता का दामाद या पुत्र पकड़ा जाता है, तो उस नेता की गलती नहीं होती। आरोपी को गिरफ्तार करना चाहिए। इस गंभीर विषय पर हमें राजनीति नहीं करनी चाहिए। दोषी का किसी जाति या धर्म से कोई मतलब नहीं होता है।
उन्होंने आगे कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। सीडीएस का कहना है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' अभी जारी है, जो चीज जारी है, उस पर हमें नहीं बोलना चाहिए। हमें भारतीय सेना पर विश्वास है, पाकिस्तान को करारा जवाब देने में सेना सक्षम है।