क्या थोड़ा चलते ही सांस फूलना सिर्फ थकान है या गंभीर बीमारी का संकेत?

सारांश
Key Takeaways
- सांस फूलने की समस्या को गंभीरता से लें।
- आयुर्वेदिक उपायों का प्रयोग करें।
- शारीरिक गतिविधियों की शुरुआत हल्की गति से करें।
- स्वास्थ्य की निगरानी के लिए नियमित जांच कराएं।
- सांस फूलने की समस्या को नजरअंदाज न करें।
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। थोड़ा चलने पर ही सांस फूलना एक आम समस्या मानी जाती है, लेकिन यह हमेशा साधारण थकान या उम्र के प्रभाव का परिणाम नहीं होता। यह शरीर में हो रहे कई गंभीर परिवर्तनों का संकेत भी हो सकता है।
विशेषकर तब यह समस्या अधिक गंभीर बन जाती है, जब व्यक्ति को बार-बार सांस लेने में कठिनाई, दिल की धड़कन का तेज होना, या हल्का चक्कर और थकावट का अनुभव होता है। इस स्थिति का मुख्य कारण हृदय और फेफड़ों की कमजोरी हो सकती है।
जब दिल की मांसपेशियां कमजोर होती हैं या रक्त का संचार धीमा हो जाता है, तब शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे सांस फूलने लगती है। इसी प्रकार, फेफड़ों में सूजन, एलर्जी, या किसी प्रकार की श्वसन बाधा भी उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है।
इससे अतिरिक्त, शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) होने पर ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता घट जाती है, जिससे थोड़ी मेहनत करने पर भी सांस तेज हो जाती है। मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, और थायरॉइड जैसी स्थितियाँ भी इस समस्या को बढ़ा सकती हैं।
आयुर्वेद में इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई सरल घरेलू उपाय उपलब्ध हैं। सबसे पहले, रोजाना प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम और भ्रामरी करने से फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि होती है और सांस की गति नियंत्रित होती है। एक चम्मच शहद में आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से कफ कम होता है और श्वसन मार्ग साफ रहता है। तुलसी, लौंग, काली मिर्च और अदरक से बना काढ़ा भी फेफड़ों की सूजन को कम करने में सहायक होता है। दिनभर गुनगुना पानी पीने से बलगम पतला होता है और सांस लेना आसान हो जाता है।
इसके अलावा, धूल, धुआं और परफ्यूम जैसी चीजों से दूरी बनाए रखें। तेज चलने या व्यायाम करने से पहले हल्की गति से शुरुआत करें ताकि दिल और फेफड़े समायोजित हो सकें। यदि सांस फूलने के साथ छाती में दर्द, चक्कर या अत्यधिक थकान हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।