क्या है सावन विशेष : शिवनगरी का तिलभांडेश्वर मंदिर, जहां तिल जितना बढ़ता है शिवलिंग?

सारांश
Key Takeaways
- तिलभांडेश्वर मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग हर साल तिल के बराबर बढ़ता है।
- यहां दर्शन करने से अश्वमेध यज्ञ का पुण्य मिलता है।
- मंदिर का इतिहास ऋषि विभांड से जुड़ा है।
- सावन में भक्तों की भारी भीड़ होती है।
- मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं।
वाराणसी, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इस समय सावन का पावन महीना चल रहा है। शिवनगरी काशी, जहां की हर गली में शिव की महिमा गूंजती है, वहां कई मंदिर हैं, जो न केवल चमत्कार की कहानी बताते हैं, बल्कि भक्त और भगवान के बीच के रिश्ते को भी दर्शाते हैं। इनमें से एक अद्वितीय मंदिर है, तिलभांडेश्वर महादेव, जो एक अनूठा चमत्कार समेटे हुए है। इस मंदिर का स्वयंभू शिवलिंग हर साल मकर संक्रांति पर तिल के बराबर बढ़ता है, जैसा कि शिव पुराण के काशी खंड में उल्लेखित है।
मान्यता है कि यहां दर्शन करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलते हैं, जो भक्तों की आस्था को और गहरा करता है। काशी विश्वनाथ मंदिर से महज 500 मीटर दूर, पांडे हवेली में स्थित यह मंदिर ऋषि विभांड की तपस्थली पर बना है।
यह क्षेत्र ऋषि विभांड की तप स्थली थी, जहां वह ध्यान लगाकर पूजा करते थे। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें वरदान दिया था कि यह शिवलिंग (तिलभांडेश्वर) हर साल तिल के बराबर बढ़ता रहेगा। तिल के बराबर बढ़ते रहने से और ऋषि विभांड के नाम पर इस मंदिर को तिलभांडेश्वर नाम मिला है।
धर्म शास्त्र में इस मंदिर के बारे में कथा उल्लेखित है, जिसके अनुसार भगवान शिव ने ऋषि को वरदान दिया था कि उनका शिवलिंग कलयुग में हर साल तिल जितना बढ़ेगा।
तिलभांडेश्वर मंदिर में भक्त कालसर्प दोष की शांति के लिए भी पूजा करते हैं। मंदिर में भोलेनाथ के अलावा कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
काशीवासियों के साथ ही देश-दुनिया से लोग बाबा के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। काशी की रहने वाली श्रद्धालु रीता त्रिपाठी ने बताया, “हम लोग काफी समय से मंदिर आते रहे हैं। तिलभांडेश्वर हर साल तिल के बराबर बढ़ता है। सावन में पूरे महीने में बाबा के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। बाबा स्वयंभू हैं और इनके दर्शन करने से पाप मिट जाते हैं और अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।”
उत्तर प्रदेश, पर्यटन विभाग के अनुसार, काशी नगरी में हर शिवलिंग का अपना अलग महात्म्य है। यहां अति प्राचीन तिलभांडेश्वर महादेव का पौराणिक इतिहास भी है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से लगभग 500 मीटर दूर, पांडेय हवेली के पास स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का शिवलिंग विराजमान है। यहां सावन के साथ ही महाशिवरात्रि और प्रदोष पर भी भक्तों की भीड़ लगती है।
सावन, महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। भक्त तिल, जौ और जल चढ़ाकर कालसर्प दोष, ग्रह-नक्षत्रों के कष्टों से मुक्ति पाते हैं। मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मंत्रमुग्ध करती हैं।