क्या हुमायूं कबीर की मस्जिद वाली घोषणा से टीएमसी ने दूरी बना ली?
सारांश
Key Takeaways
- हुमायूं कबीर का मस्जिद का ऐलान एक व्यक्तिगत मामला है।
- टीएमसी ने पार्टी से दूरी बना ली है।
- राजनीतिक दृष्टि से यह विषय महत्वपूर्ण है।
- एसआईआर प्रक्रिया पर भी चर्चा की गई।
- वोटर लिस्ट में विसंगतियों पर सवाल उठाए गए।
कोलकाता, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार ने विधायक हुमायूं कबीर के 'बाबरी मस्जिद' के ऐलान पर पार्टी का रुख स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि यह हुमायूं कबीर का व्यक्तिगत मामला है और इसका बंगाल की राजनीति या तृणमूल कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है।
जय प्रकाश मजूमदार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "यह पूरी तरह से एक नेता का निजी मामला है। वह एक विधायक से ज्यादा कुछ नहीं हैं, जिन्होंने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नाम और चिन्ह का इस्तेमाल करके चुनाव जीता है। वह जो कुछ भी कह रहे हैं या योजना बना रहे हैं, इसका बंगाल की राजनीति या तृणमूल कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है।"
हुमायूं कबीर ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 'बाबरी मस्जिद' बनाने की घोषणा की है और कहा कि वे 6 दिसंबर को इसकी नींव रखेंगे।
टीएमसी के प्रदेश उपाध्यक्ष ने एसआईआर के मुद्दे पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट एसआईआर प्रक्रिया पर स्टे ऑर्डर नहीं लगा सकता, लेकिन उसे यह देखना चाहिए कि प्रक्रिया कैसे की जा रही है। इतने सारे लोग सुसाइड कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता, जब चुनाव आयोग पर एक पार्टी का कब्जा होता दिख रहा हो। सुप्रीम कोर्ट चुप कैसे रह सकता है, जब वह समझता और देखता है कि एक संविधान, जो पहले 70 सालों तक भरोसे के साथ काम करता रहा, अब एक खास राजनीतिक पार्टी के कारण प्रभावित हो रहा है?"
उन्होंने चुनाव आयोग के उस दावे पर भी जवाब दिया, जिसमें कहा गया कि पश्चिम बंगाल की मौजूदा वोटर लिस्ट में 26 लाख नाम 2002 की लिस्ट से मेल नहीं खाते हैं।
जय प्रकाश मजूमदार ने कहा, "जो व्यक्ति 2002 में 18 साल का था, वह अब 41 साल का होगा। इसलिए, पश्चिम बंगाल की मौजूदा वोटर लिस्ट में 18 से 40 साल के बीच के किसी भी व्यक्ति का नाम 2002 की लिस्ट में नहीं मिलेगा। इसके पीछे क्या वजह है? हमने यह सवाल उठाया था, लेकिन चुनाव आयोग इसका जवाब नहीं दे सका।"