क्या टीएमसी विधायक अब्दुर रहीम बख्शी के बयान पर दिलीप घोष का विरोध सही है?

सारांश
Key Takeaways
- अब्दुर रहीम बख्शी का विवादास्पद बयान
- दिलीप घोष की एफआईआर की मांग
- बंगाल की राजनीति में बढ़ता विवाद
- पश्चिम बंगाल सरकार की नीतियों पर सवाल
- भाजपा और टीएमसी के बीच टकराव
कोलकाता, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। टीएमसी नेता अब्दुर रहीम बख्शी द्वारा भाजपा विधायक शंकर घोष के खिलाफ दिए गए विवादास्पद बयान ने राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। भाजपा नेता दिलीप घोष ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और एफआईआर की मांग की।
दिलीप घोष ने कहा, "टीएमसी में ऐसे लोग बढ़ते जा रहे हैं जिनकी असामाजिक प्रवृत्तियाँ हैं। जिन्हें जेल में होना चाहिए, वे विधायक बनकर विधानसभा में बैठ रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए। अगर हमारा कोई नेता ऐसा बयान देता, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होती।"
उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, "यह सरकार न तो परीक्षाएं आयोजित करती है और न ही रोजगार देती है। हाल ही में संपन्न हुई परीक्षा भी कोर्ट के आदेश पर हुई है। मुझे लगता है कि जिन्होंने मेहनत से परीक्षा पास की, उन्हें बार-बार परखने की आवश्यकता नहीं। लेकिन बिना परीक्षा के नौकरी पाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।"
गौरतलब है कि टीएमसी नेता अब्दुर रहीम बख्शी ने भाजपा विधायक शंकर घोष पर तेजाब डालने की धमकी दी थी। उन्होंने शंकर घोष के एक पुराने बयान पर नाराजगी जताई थी, जिसमें उन्होंने बंगाल के 30 लाख प्रवासी मजदूरों को रोहिंग्या या बांग्लादेशी बताया था।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने भी अब्दुर रहीम बख्शी के बयान पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी सरकार को जनसमर्थन नहीं मिल रहा है, इसलिए वे भाजपा के एमएलए को डराने का प्रयास कर रही हैं। बंगाल की जनता की आवाज भाजपा सड़क से लेकर सदन तक उठाती रहेगी। उन्हें पता है कि बंगाल की जनता तृणमूल कांग्रेस के साथ नहीं, बल्कि भाजपा के साथ खड़ी है।