क्या तुलसी पत्रों से श्रीराम सहस्त्रनामार्चन हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- अयोध्या में श्रीराम का सहस्त्रनामार्चन
- ध्वजारोहण से पूर्व का वैदिक अनुष्ठान
- तुलसी पत्रों का महत्व
- आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार
- समुदाय की एकता का प्रतीक
अयोध्या, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में प्रस्तावित ऐतिहासिक ध्वजारोहण कार्यक्रम से पहले वैदिक अनुष्ठानों का क्रम जारी है। गुरुवार को द्वितीय दिन के अनुष्ठान सफलतापूर्वक संपन्न हुए। इस अवसर पर भगवान श्रीराम का एक हजार तुलसी पत्रों से सहस्त्रनामार्चन किया गया। पावन ध्वजारोहण से पूर्व किए जा रहे इस वैदिक अनुष्ठान ने संपूर्ण रामनगरी को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया है।
मुख्य आचार्यों ने दिनभर वैदिक विधियों के अनुसार विभिन्न पूजन और आवाहन संपन्न कराए। कार्यक्रम का शुभारंभ गणपति पूजन, पंचांग पूजन और षोडष मातृका पूजन से हुआ। इसके पश्चात मंडप प्रवेश पूजन, योगिनी, क्षेत्रपाल एवं वास्तु पूजन की वैदिक प्रक्रिया पूर्ण की गई। इसी क्रम में नवग्रह पूजन के साथ-साथ रामभद्र मंडल एवं अन्य पूजन मंडलों का आवाहन भी किया गया।
आचार्यों ने बताया कि ये सभी अनुष्ठान मंदिर ध्वज को स्थापित करने से पूर्व आवश्यक आध्यात्मिक प्रक्रिया के अंतर्गत आते हैं, जिससे शुभता, सुरक्षा और धार्मिक ऊर्जाओं का संचार सुनिश्चित होता है।
द्वितीय दिवस के इस पूजन में यजमान डॉ. अनिल मिश्र और अन्य यजमानों ने अपनी अर्द्धांगिनी के साथ पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से भाग लिया। मुख्य आचार्य चंद्रभान शर्मा के निर्देशन में उपाचार्य रविंद्र पैठणे, यज्ञ के ब्रह्मा एवं आचार्य पंकज शर्मा सहित कई वेदविद्वानों ने मंत्रोच्चारण से पूरे वातावरण को राममय कर दिया। पूजन व्यवस्था प्रमुख आचार्य इंद्रदेव मिश्र एवं आचार्य पंकज कौशिक की विशेष देखरेख में समस्त अनुष्ठान विधिपूर्वक संपन्न हुए।