क्या ‘उदयपुर फाइल्स’ विवाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने समिति के सुझावों पर सवाल उठाए?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म के कट्स पर केंद्र के अधिकार पर सवाल उठाया।
- कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म है।
- सीबीएफसी के सुझावों की वैधता पर बहस चल रही है।
- फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई गई थी।
- सुनवाई की अगली तारीख 8 अगस्त है।
नई दिल्ली, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के उदयपुर में हुई कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स' को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की एक पांच सदस्यीय जांच समिति ने फिल्म में छह बदलाव करने का सुझाव दिया है, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने केंद्र के सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के अंतर्गत रिवीजनल पावर के दायरे पर सवाल करते हुए पूछा, "क्या केंद्र को फिल्म में कट्स सुझाने का अधिकार है?"
इस विवाद में ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत सरकार के अधिकारों और सेंसर प्रक्रिया में हस्तक्षेप पर चर्चा की जा रही है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि आपने वास्तव में क्या किया है? आपने फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा दिए गए निर्देशों से हटकर कुछ निर्देश दिए हैं, जो यहाँ स्वीकार्य नहीं हैं। प्रश्न यह है कि रिव्यू अथॉरिटी में केंद्र किस प्रकार का आदेश पारित कर सकता है?
यह मामला कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म की रिलीज पर प्रतिबंध की मांग को लेकर दायर याचिकाओं के जवाब में उठा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीएफसी से पूछा कि क्या आप धारा 5 की उपधारा 2 के तहत आदेश को शामिल कर सकते हैं? कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र को वैधानिक दायरे में रहकर काम करना होगा। खंडपीठ ने यह सवाल भी किया कि क्या केंद्र ने सीबीएफसी की तरह अपीलेट अथॉरिटी की भूमिका निभाई है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई थी और केंद्र को याचिकाओं पर विचार करने को कहा था। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर गठित केंद्र सरकार की जांच समिति ने फिल्म के डिस्क्लेमर में बदलाव, वॉयस ओवर जोड़ने और कुछ क्रेडिट फ्रेम हटाने की सलाह दी थी। इसके अलावा, सऊदी अरब में इस्तेमाल होने वाली पगड़ी के एआई-जनरेटेड सीन में बदलाव, नूपुर शर्मा के प्रतीकात्मक नाम ‘नूतन शर्मा’ को हटाकर नया नाम इस्तेमाल करने और उनके डायलॉग “मैंने तो वही कहा है जो उनके धर्म ग्रंथों में लिखा है” को हटाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही, बलूची समुदाय से जुड़े तीन डायलॉग भी हटाने को कहा गया है, जिनमें “हाफिज, बलूची कभी वफादार नहीं होता”, “मकबूल बलूची की... अरे क्या बलूची, क्या अफगानी, क्या हिंदुस्तानी, क्या पाकिस्तानी” जैसे डायलॉग शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने बताया कि फिल्म को दो चरणों में जांचा गया, जिसमें सीबीएफसी ने 55 कट्स और केंद्र ने छह कट्स सुझाए। मामले की सुनवाई 8 अगस्त को होगी।