क्या भामाशाह का सम्मान महाराणा प्रताप के समान है?

सारांश
Key Takeaways
- भामाशाह का ऐतिहासिक योगदान
- महाराणा प्रताप का सम्मान
- उदयपुर में आयोजित कार्यक्रम
- गुलाबचंद कटारिया का संबोधन
- सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी
उदयपुर, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। भामाशाह की जयंती के अवसर पर राजस्थान के उदयपुर में हाथीपोल स्थित भामाशाह मूर्ति स्थल पर महावीर युवा मंच द्वारा एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार महाराणा प्रताप का सम्मान विश्वभर में है, उसी तरह भामाशाह का भी होना चाहिए।
कार्यक्रम में शहर के अनेक जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य प्रतिष्ठित नागरिकों ने भाग लिया। राज्यपाल कटारिया ने बताया कि भामाशाह ने आर्थिक रूप से महाराणा प्रताप का सहयोग किया था।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जिस प्रकार महाराणा प्रताप ने मुगलों के विरुद्ध संघर्ष करके मेवाड़ की रक्षा की, उसी प्रकार भामाशाह ने आर्थिक समर्थन प्रदान करके इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। राज्यपाल कटारिया ने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम पूरे देश में आदर से लिया जाता है, और भामाशाह को भी राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलनी चाहिए। उपस्थित सभी लोगों ने भामाशाह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल ने उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक अत्यंत निंदनीय घटना थी। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को शीघ्र न्याय मिलना चाहिए, ताकि समाज में विश्वास बना रहे और अपराधियों को कठोर दंड मिले।
उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि पूरे देश में भामाशाह जयंती का पर्व बड़े सम्मान के साथ मनाया जाता है। महाराणा प्रताप के संघर्ष और आजादी की लड़ाई में धन तथा संसाधनों की आवश्यकता थी। भामाशाह ने अपने पास जो भी था, उसका दान किया और सेना में शामिल होकर नेतृत्व किया। आज जो भी दान दिया जाता है, उसे भामाशाह के नाम से जाना जाता है।