क्या भाजपा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है और धर्म-भाषा के नाम पर समाज को बांट रही है?

सारांश
Key Takeaways
- भ्रष्टाचार के आरोपों पर भाजपा को जवाब देना चाहिए।
- संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिक उपयोग लोकतंत्र के लिए खतरा है।
- धर्म और भाषा के नाम पर विभाजन की राजनीति को नकारना चाहिए।
- समाज में एकता बनाए रखने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
- राजनीतिक संवाद में पारदर्शिता आवश्यक है।
लखनऊ, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता उदयवीर सिंह ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने जेपीएनआईसी परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिक लाभ उठाने का भी आरोप लगाया।
राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में उदयवीर सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार खुद को 'असली कैबिनेट' समझती है और अन्य सरकारों को तुच्छ मानती है। वह पुराने निर्णयों को उलटने में लगी है। जेपीएनआईसी परियोजना में शुरू से बेईमानी की गई है। 8 वर्षों से सरकार में होने के बावजूद कोई जांच नहीं हुई और न ही किसी पर कार्रवाई की गई। उल्टे, जिस ठेकेदार ने जेपीएनआईसी परियोजना का कार्य पूरा किया, उसे भाजपा में शामिल कर दो बार राज्यसभा भेजा गया। भाजपा की सरकार निजी कंपनियों और अपने करीबी मित्रों को लाभ पहुंचाने की नीति पर काम कर रही है। यदि इन्हें मौका मिले, तो अपनी ही सरकार को ठेक पर दे देंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के मतदाता सूची में सुधार संबंधी बयान पर उदयवीर सिंह ने कहा कि हमने आयोग को बताया है कि नए नियमों में स्वयंसेवकों की तैनाती में पारदर्शिता का अभाव है। बिहार जैसी सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले राज्यों में, जहां बाढ़, विस्थापन और बेरोजगारी है, फॉर्म भरना आसान नहीं है। इससे लोग अपने मताधिकार से वंचित न रह जाएं, यही हमारी चिंता है। कई लोगों ने इस मुद्दे पर अदालत का रुख भी किया है, और जो भी निर्णय आएगा, उसे हम स्वीकार करेंगे।
राजद प्रमुख लालू यादव के नाम एआईएमआईएम की चिट्ठी पर उदयवीर सिंह ने कहा कि यह बिहार का विषय है, वहां की राजनीतिक समिति और नेता तय करेंगे कि क्या करना है। हम इस पर कोई बाहरी टिप्पणी नहीं करेंगे।
पूर्व सपा सांसद एसटी हसन के 'कपड़े उतरवाकर चेकिंग आतंकियों जैसा सलूक' वाले बयान पर उदयवीर सिंह ने कहा कि धर्म, जाति या किसी भी पहचान के आधार पर किसी को निशाना बनाना लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है। भाजपा हर धार्मिक या सामाजिक अवसर का उपयोग समाज को बांटने के लिए करती है, क्योंकि उनके पास 8 वर्षों में कुछ ठोस काम गिनाने के लिए नहीं है।
कांवड़ यात्रा में डीजे या हुड़दंग के विषय पर नरेश टिकैत की चिंताओं पर उदयवीर सिंह ने कहा कि वह एक सामाजिक व्यक्ति हैं और उनकी बातों को गंभीरता से लेना चाहिए। लेकिन, भाजपा इस यात्रा को भी मार्केटिंग का माध्यम बना रही है। समाजवादी सरकार के समय में भी यात्रा सुचारू रूप से होती रही, लेकिन तब कभी इतना शोर-शराबा नहीं किया गया। भाजपा धर्म को प्रचार का माध्यम बनाती है। धार्मिक आयोजनों में आस्था होनी चाहिए, न कि उत्तेजना और राजनीतिक स्टंट।
महाराष्ट्र में 'हिंदी बनाम मराठी' विवाद पर मंत्री नितेश राणे की टिप्पणी पर सपा नेता ने कहा कि भाषा, धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांटना अपराध है। ऐसे लोग लोकतंत्र की आत्मा को चोट पहुंचा रहे हैं। भाजपा बार-बार विभाजन की राजनीति करती है, ताकि जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके।