क्या उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच स्वार्थ का गठबंधन है?
सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का गठबंधन बीएमसी चुनावों के लिए है।
- भाजपा नेताओं का कहना है कि यह स्वार्थ का प्रतीक है।
- नवनीत राणा ने राज ठाकरे की भाषाई बदलाव पर सवाल उठाए।
- महायुति ने हाल के चुनावों में 70% सीटें जीती हैं।
- मुंबई के लोग इस गठबंधन को समझने लगे हैं।
मुंबई, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने बुधवार को अपने गठबंधन की आधिकारिक घोषणा की। इस पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे 'स्वार्थ' का गठबंधन बताया।
भाजपा नेता और पूर्व सांसद नवनीत राणा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जिस प्रकार उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एकजुट हो रहे हैं, यह एक परिवार के रूप में अच्छा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि दोनों भाई अपने-अपने स्वार्थ के लिए एकत्रित हो रहे हैं।
उद्धव ठाकरे पर नवनीत राणा ने कहा कि उनकी पार्टी, जिसके पास कभी मुख्यमंत्री बनाने की ताकत थी, अब नगर निगम और नगर पंचायत के चुनावों में सबसे पीछे है। नगर निगम और नगर पंचायत में उनके बहुत कम सदस्य चुने गए हैं। वर्तमान में उद्धव ठाकरे किसी भी व्यक्ति को अपने साथ रख लें, लेकिन बीएमसी चुनावों में उनका कोई गणित सफल नहीं होगा।
नवनीत राणा ने राज ठाकरे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "पहले राज ठाकरे का भाषण 'मेरे हिंदू भाई-बहन' शब्दों से शुरू होता था, लेकिन अब उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन करने के बाद उनकी भाषा बदल गई है।"
भाजपा नेता ने राज ठाकरे को उनके पुराने वादों और नारों की याद दिलाई। उन्होंने पूछा, "राज ठाकरे बताएं कि आज उनके लिए हनुमान चालीसा और भगवा प्रेम कहां चले गए हैं, क्योंकि उद्धव ठाकरे आज चादर चढ़ाने वालों के साथ खड़े हैं। क्या राज ठाकरे यह दिखा रहे हैं कि उन्हें हिंदुओं और भगवा से प्रेम नहीं है? क्या वे भी औरंगजेब की कब्र पर जाएंगे?"
इस दौरान, नवनीत राणा ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में भाजपा और महायुति की जीत का दावा किया।
उद्धव और राज ठाकरे पर भाजपा विधायक मिहिर कोटेचा ने कहा, "यह बस सत्ताधारी बने रहने का प्रयास है। लेकिन, मुंबई के लोगों को यह समझ आ गया है। हाल के नगर पालिका और नगर परिषद के परिणाम स्पष्ट हैं, जिसमें महायुति ने ७० प्रतिशत से अधिक सीटें जीती हैं।"