क्या उद्धव और राज ठाकरे के साथ रैली निकालने का प्रकाश अंबेडकर ने समर्थन किया?

सारांश
Key Takeaways
- हिंदी को तीसरी भाषा बनाने का विरोध
- उद्धव और राज ठाकरे की रैली
- प्रकाश अंबेडकर का समर्थन
- राजनीतिक रणनीति का बदलाव
- महाराष्ट्र की भाषाई विविधता
मुंबई, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में स्थापित करने के निर्णय का विरोध तेजी से बढ़ रहा है। उद्धव और राज ठाकरे, शरद पवार जैसे विपक्षी नेताओं ने इस नीति की तीव्र आलोचना की है। ठाकरे बंधुओं ने हिंदी भाषा के खिलाफ रैली आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसी बीच, वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने ठाकरे बंधुओं के इस विरोध का समर्थन किया है।
प्रकाश अंबेडकर ने शनिवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "उद्धव और राज ठाकरे इस मुद्दे पर रैली कर सकते हैं, और नगर निगम चुनाव के दौरान एकसाथ बैठ सकते हैं। मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है।"
उन्होंने एनसीपी के रैली में शामिल होने पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि एनसीपी को इस रैली में बिन बुलाए मेहमान की तरह शामिल किया गया है, जबकि कांग्रेस इस मुद्दे से अभी भी बाहर है। यह महा विकास अघाड़ी की रैली है या इन दोनों पार्टियों की? मुझे लगता है कि दोनों को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
हिंदी भाषा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक आधिकारिक भाषा है। जब हम स्कूल और कॉलेज में थे, तब हिंदी वैकल्पिक विषय हुआ करता था। उस समय 90 प्रतिशत छात्र हिंदी को वैकल्पिक सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाई करते थे।
प्रकाश अंबेडकर ने बताया कि मुंबई में लोग बातचीत के माध्यम से ही हिंदी भाषा सीख रहे हैं। अगर आप मुंबई में व्यापार करना चाहते हैं, तो आपको गुजराती आनी चाहिए, और संवाद करने के लिए मराठी और हिंदी जानना आवश्यक है। मुझे लगता है कि महाराष्ट्र में लोग बोलकर हिंदी सीखते हैं, चाहे वे गांव में हों या शहर में। यह देश की स्थिति है कि लोग केंद्र की नीतियों को अपने-आप अपनाते हैं। सरकार द्वारा हिंदी थोपना और ठाकरे बंधुओं का विरोध मुझे मैच फिक्सिंग जैसा लगता है।
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों भाईयों का एक साथ आना बीएमसी चुनाव में उद्धव के लिए हानिकारक होगा, क्योंकि मुंबई में प्रवासी लोगों का एक बड़ा वर्ग है जो बीएमसी चुनाव में उद्धव को वोट देता है। इस आंदोलन के बाद ये लोग उन्हें वोट नहीं देंगे।