क्या उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर में भक्त के आंसू देख भगवान ने तोड़ी थी दीवार?

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क्या उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर में भक्त के आंसू देख भगवान ने तोड़ी थी दीवार?

सारांश

उडुपी का श्री कृष्ण मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है जहाँ भगवान की उदारता की एक अद्भुत कहानी है। भक्त कनकदास की करुण पुकार सुनकर भगवान ने दीवार तोड़ी। जानें इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा।

Key Takeaways

  • उडुपी श्री कृष्ण मंदिर की विशेषता इसकी नौ छिद्रों वाली खिड़की है।
  • कनकदास की करुण पुकार ने भगवान को प्रेरित किया।
  • यह मंदिर भक्ति और उदारता का प्रतीक है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया दौरा इस मंदिर की महत्ता को दर्शाता है।

नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कहा जाता है कि जब कोई नहीं सुनता, तब भगवान सुनते हैं और सहायता के लिए आते हैं। इस विश्वास को कर्नाटक के उडुपी शहर में स्थित श्री कृष्ण मंदिर प्रमाणित करता है।

मान्यता है कि यहां एक भक्त की करुण पुकार सुनकर भगवान ने मंदिर की दीवार को तोड़ दिया और खुद को 180 डिग्री घुमा लिया। यह मंदिर भक्त की भक्ति और भगवान की उदारता का प्रतीक है।

कर्नाटक के उडुपी में श्री कृष्ण मठ के भीतर श्री कृष्ण मंदिर स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ भक्त गर्भगृह में जाकर भगवान के दर्शन नहीं करते, बल्कि एक नौ छिद्रों वाली खिड़की से भगवान को देखते हैं। भक्तों को ऐसा अनुभव होता है कि स्वयं भगवान कृष्ण उन्हें देख रहे हैं। इस खिड़की को “नवग्रह कीटिका” कहा जाता है और इसे चांदी से निर्मित किया गया है। भक्त इस झरोके से भगवान का अद्भुत दर्शन करते हैं।

कथा के अनुसार, गरीब कनकदास भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त थे। हर समय उनके मुंह पर भगवान श्री कृष्ण का नाम होता था। वे भगवान के लिए स्वयं द्वारा रचित भजन गाते थे। एक दिन हरि-हरि का नाम गाते हुए जब वे उडुपी पहुंचे, तब उन्होंने मंदिर में भगवान के दर्शन की इच्छा जताई लेकिन गैर-ब्राह्मण होने के कारण उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं मिला। निराश होकर कनकदास मंदिर के पीछे जाकर बैठ गए और भगवान को करुण स्वर में पुकारने लगे। उन्होंने भजनों में भगवान से पूछा कि उन्हें गैर-ब्राह्मण क्यों बनाया गया।

कनकदास की पुकार सुनकर भगवान श्री कृष्ण स्वयं को रोक नहीं पाए और गर्भगृह में 180 डिग्री घूमकर मंदिर की दीवार तोड़ दी। यह माना जाता है कि दीवार में एक बड़ी दरार पड़ी और झरोका बन गया। भगवान के सामने कनकदास उनके चरणों में गिर पड़े। जब यह बात मंदिर के पुजारियों को पता चली, तो उन्होंने कनकदास से माफी मांगी। इस दिन से भक्त भगवान के गर्भगृह में नहीं, बल्कि झरोके से दर्शन करते हैं। इस झरोके को कनकदास का झरोका भी कहा जाता है। बाद में कनकदास के तमिल भजन बहुत प्रसिद्ध हुए और आज भी गाए जाते हैं।

हाल ही में, इस मठ में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दर्शन के लिए पहुंचे और मठ के अंतर्गत कई मंदिरों के दर्शन किए।

Point of View

बल्कि यह भक्ति और भगवान की कृपा का उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। भक्त कनकदास की कहानी यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती।
NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

श्री कृष्ण मंदिर की विशेषता क्या है?
यह मंदिर अपनी नौ छिद्रों वाली खिड़की के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ भक्त भगवान को देख सकते हैं।
कनकदास कौन थे?
कनकदास भगवान श्री कृष्ण के महान भक्त थे, जिन्होंने अपने भजनों के माध्यम से भगवान से अपनी आस्था व्यक्त की।
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर का दौरा किया था?
जी हाँ, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मठ और मंदिर का दौरा किया था।
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