क्या अनहेल्दी लाइफस्टाइल का नतीजा है उदर-वायु? आयुर्वेदिक उपचार से पाएं छुटकारा
सारांश
Key Takeaways
- गलत खान-पान से गैस की समस्या बढ़ सकती है।
- आयुर्वेदिक उपचार प्रभावी और सुरक्षित हैं।
- योगासन पेट की समस्याओं में मददगार होते हैं।
- सही खान-पान से पाचन में सुधार होता है।
- गैस की समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
नई दिल्ली, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पेट में गैस (उदर-वायु) बनने की समस्या आजकल सामान्य होती जा रही है। लगभग सभी व्यक्ति को कभी न कभी इसका सामना करना पड़ता है। जब पाचन की प्रक्रिया सुचारू नहीं रहती, तो भोजन का सही पाचन नहीं हो पाता और गैस बनने लगती है। यदि यह गैस शरीर से बाहर नहीं निकल पाती, तो पेट फूलना, भारीपन, डकार आना, पेट दर्द या बेचैनी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। कई लोग गैस को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन इसकी अनदेखी करने से एसिडिटी, कब्ज, सिरदर्द और जी मिचलाने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे सामान्य कारण है गलत खान-पान। अत्यधिक तली-भुनी, मसालेदार या फास्ट फूड का सेवन करने से पाचन में बाधा आती है। इसके अलावा, अधिक फाइबर वाले खाद्य पदार्थ जैसे राजमा, छोले, उड़द की दाल या बींस का सेवन भी गैस का कारण बन सकता है। कोल्ड ड्रिंक्स, बासी खाना या अस्वच्छ पानी का सेवन भी पेट में गैस का एक बड़ा कारण है।
कभी-कभी पाचन तंत्र में बैक्टीरिया का असंतुलन या आईबीएस जैसी बीमारियां भी इस समस्या को बढ़ा देती हैं।
आयुर्वेद में गैस की समस्या के लिए कई सरल और प्रभावी घरेलू उपाय बताए गए हैं। अगर गैस की शिकायत हो तो सौंठ (सूखा अदरक), हींग और सेंधा नमक को गुनगुने पानी के साथ लेना बहुत लाभकारी है। अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर खाने से पेट की ऐंठन और गैस से राहत मिलती है। अदरक-नींबू का मिश्रण भोजन के बाद लेने से पाचन में सुधार होता है और पेट हल्का महसूस होता है। हरड़ चूर्ण और शहद का सेवन भी वायु विकार को शांत करता है। इसके अलावा, जीरा, अजवाइन, हरड़ और काला नमक को बराबर मात्रा में मिलाकर बनाया गया मिश्रण भोजन के बाद लेने से पेट तुरंत हल्का लगता है।
योगासन भी गैस की समस्या को दूर करने में अत्यंत प्रभावी हैं। वज्रासन सबसे सरल और उपयोगी आसन है, जिसे भोजन के बाद 10-15 मिनट करने से पाचन शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा, अग्निसार क्रिया का नियमित अभ्यास करने से पाचन अग्नि तेज होती है और शरीर से गैस और विषैले तत्व निकलते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, जब जठराग्नि कमजोर होती है तो शरीर में 'आम' यानी अधपचा भोजन जमा होता है, जो गैस का मुख्य कारण बनता है। इसी कारण अग्नि को संतुलित रखना बहुत आवश्यक है। त्रिफला चूर्ण, हिंगवाष्टक चूर्ण, अजवाइन चूर्ण और अदरक रस जैसी आयुर्वेदिक औषधियां इस समस्या में बहुत मदद करती हैं।