क्या यूपी डिफेंस कॉरिडोर को मजबूती देने के लिए डीआरडीओ ने नई पहल की?

सारांश
Key Takeaways
- डीआरडीओ ने डिफेंस कॉरिडोर को मजबूत करने के लिए सम्मेलन आयोजित किया।
- 100 से अधिक प्रतिभागियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया।
- एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स को रक्षा अनुसंधान में शामिल किया गया।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पहल की सराहना की।
- यह पहल भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
नई दिल्ली, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) उत्तर प्रदेश में स्थित डिफेंस कॉरिडोर को और अधिक मजबूत बनाने के लिए डीआरडीओ ने कई छोटे और बड़े उद्योगों तथा रक्षा क्षेत्र से जुड़े स्टार्ट-अप्स को एक मंच पर लाने का निर्णय लिया है। भारत के ये उद्योग देश की रक्षा आवश्यकताओं से जुड़े निर्माण कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। साथ ही, नई अनुसंधान से सैन्य बलों के लिए उपयोगी रक्षा उपकरण और अन्य सामग्रियों के निर्माण में सहायता मिल सकती है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड टेस्ट सेंटर, लखनऊ ने अमौसी परिसर में एक महत्वपूर्ण सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) और स्टार्ट-अप्स को रक्षा अनुसंधान एवं विकास तथा उत्पादन गतिविधियों में जोड़ना था।
डीआरडीओ ने अपने इस प्रयास से उत्तर प्रदेश के रक्षा औद्योगिक गलियारे के विकास को गति देने का कार्य किया है।
सम्मेलन में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें विभिन्न एमएसएमई, स्टार्ट-अप्स और लघु उद्योग भारती से जुड़े प्रतिनिधि शामिल थे। इस दौरान कौशल विकास, अनुसंधान एवं विकास हेतु वित्तीय सहयोग, तकनीकी परामर्श तथा डीआरडीओ द्वारा तकनीक विकास एवं हस्तांतरण जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।
डीआरडीओ के अध्यक्ष का कहना है कि यह आयोजन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की दूरदर्शी सोच का परिणाम है, जो आज उद्योग जगत के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है।
उन्होंने एमएसएमई प्रतिनिधियों को डीआरडीओ की विभिन्न तकनीकों और उद्योग-केंद्रित नीतियों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि यह एमएसएमई के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास में जुड़ने का सबसे उपयुक्त समय है।
डीआरडीओ प्रमुख ने आश्वासन दिया कि डीआरडीओ, एमएसएमई को हर संभव सहयोग प्रदान करेगा ताकि देश आत्मनिर्भर भारत बन सके और वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मेलन के आयोजन पर डीआरडीओ और एमएसएमई को बधाई दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में एमएसएमई द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।
सम्मेलन में रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ मौजूद रहे। इनमें नौसैनिक प्रणाली एवं सामग्री के महानिदेशक डॉ. आर.वी. हरा प्रसाद, प्रौद्योगिकी प्रबंधन के महानिदेशक डॉ. एल.सी. मंगल आदि शामिल थे।
विशेषज्ञों के अनुसार यह सम्मेलन उत्तर प्रदेश के रक्षा औद्योगिक गलियारे को मजबूत बनाने, स्थानीय उद्योगों को रक्षा क्षेत्र में अवसर प्रदान करने और भारत को वैश्विक स्तर पर रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।