क्या उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक और धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया है?

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क्या उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक और धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया है?

सारांश

उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का खुलासा किया है, जिसमें 10 आरोपी गिरफ्तार हुए हैं। गिरोह युवतियों को बहलाने और प्रलोभन देने के जरिए धर्मांतरण कराता था। डीजीपी राजीव कृष्ण ने इस रैकेट के अंतरराष्ट्रीय संबंधों का भी खुलासा किया है। जानिए इस घटना के पीछे की सच्चाई क्या है।

Key Takeaways

  • उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया है।
  • गिरोह ने युवतियों को बरगलाने और प्रलोभन देने का कार्य किया।
  • डीजीपी ने बताया कि गिरोह को अंतरराष्ट्रीय फंडिंग मिली थी।
  • इस मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
  • मिशन अस्मिता के तहत पहले भी कई रैकेट का भंडाफोड़ हो चुका है।

लखनऊ, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक और बड़े धर्मांतरण रैकेट का खुलासा किया है। यह गिरोह प्रदेश में युवतियों को बरगलाने, प्रलोभन देने और कट्टरपंथी विचारों के माध्यम से धर्मांतरण कराने में लिप्त था। पुलिस ने इस गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए विभिन्न राज्यों से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए पूरे प्रदेश में 'मिशन अस्मिता' चलाया जा रहा है। इसी क्रम में पुलिस को आगरा से दो सगी बहनों के लापता होने की सूचना मिली। जांच के दौरान अवैध धर्मांतरण का पूरा खेल सामने आया। पता चला कि दोनों लड़कियों का ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण कराया गया। इसके बाद पुलिस ने मामले की गहराई में जाने का निर्णय लिया, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए।

डीजीपी ने जानकारी दी कि अवैध धर्मांतरण के लिए कनाडा, अमेरिका और दुबई जैसे कई देशों से करोड़ों रुपए की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग मिली थी, जिसका उपयोग धार्मिक कट्टरता फैलाने और लड़कियों को बहलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराने में किया गया। इनके तौर-तरीके और कार्यशैली आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों के समान प्रतीत हुए। पुलिस ने जांच के दौरान छह राज्यों से 10 आरोपियों को अरेस्ट किया है, जिसमें एक लड़की भी शामिल है।

आगरा से लापता लड़कियों के मामले की जांच की जिम्मेदारी पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार को सौंपी गई। उन्होंने सात टीमें बनाई और सर्विलांस, साइबर सेल से महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कीं। इसके बाद पुलिस ने छापेमारी शुरू की। टीम को कोलकाता भेजा गया, जहां लापता बहनों की जानकारी जुटाकर उन्हें सुरक्षित किया गया। इसके बाद दोनों से जानकारी इकट्ठा की गई और छह राज्यों में छापेमारी कर 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। शुरुआती जांच में इस गिरोह के पीएफआई, एसडीपीआई और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से संबंध होने के संकेत मिले हैं।

डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी पुलिस अपराध और राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति के तहत सख्ती से कार्रवाई कर रही है। मिशन अस्मिता के तहत पहले भी कई संगठित अवैध धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ किया जा चुका है। इसी मिशन के तहत पहले मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर आलम कासमी जैसे आरोपी गिरफ्तार किए गए थे, जिन्होंने सैकड़ों लोगों का जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण करवाया था।

आगरा प्रकरण में पकड़े गए आरोपी, विशेषकर युवतियों और नाबालिग लड़कियों को प्यार, नौकरी, आर्थिक मदद और धर्म से जुड़ी भ्रांतियों के माध्यम से फंसाते थे। उन्हें पहले भावनात्मक रूप से अपने जाल में फंसाया जाता और फिर दबाव या प्रलोभन के जरिए इस्लाम में धर्मांतरण कराया जाता था। हाल ही में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर के अवैध धर्म परिवर्तन के सिंडिकेट का भी पर्दाफाश किया गया है, जिसमें एसटीएफ और एटीएस की जांच जारी है। यह कार्यपद्धति आईएसआईएस के कट्टरपंथी मॉड्यूल जैसी थी। यह गिरोह सोशल मीडिया, डार्क वेब और कुछ मोबाइल ऐप्स के माध्यम से युवाओं को मानसिक रूप से कट्टर बनाकर उन्हें धर्मांतरण के लिए तैयार करता था।

गिरफ्तार आरोपियों में आयशा (एस.बी. कृष्णा) - गोवा, अली हसन (शेखर रॉय) - कोलकाता, ओसामा - कोलकाता, रहमान कुरैशी - आगरा, अब्बू तालिब - खालापार, मुजफ्फरनगर, अबुर रहमान - देहरादून, मोहम्मद अली - जयपुर, जुनैद कुरैशी - जयपुर, मुस्तफा (मनोज) - दिल्ली और मोहम्मद अली - जयपुर शामिल हैं।

Point of View

NationPress
19/07/2025

Frequently Asked Questions

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रैकेट कैसे काम करता है?
यह गिरोह युवतियों को प्यार, नौकरी और आर्थिक मदद के नाम पर फंसाता है और फिर धर्मांतरण कराता है।
पुलिस ने कितने लोगों को गिरफ्तार किया है?
पुलिस ने विभिन्न राज्यों से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
क्या इस गिरोह के विदेश से फंडिंग मिली थी?
हां, इस गिरोह को कनाडा, अमेरिका और दुबई जैसे देशों से करोड़ों रुपए की फंडिंग मिली थी।
मिशन अस्मिता क्या है?
मिशन अस्मिता एक अभियान है, जो अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा चलाया जा रहा है।
क्या इस रैकेट के पीछे कोई आतंकी संगठन है?
शुरुआती जांच में इस गिरोह के पीएफआई, एसडीपीआई और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से संबंध होने के संकेत मिले हैं।