क्या दो करोड़ रुपए से लखनऊ का यहियागंज गुरुद्वारा निखरेगा?
सारांश
Key Takeaways
- दो करोड़ रुपए का बजट गुरुद्वारे के सौंदर्यीकरण के लिए स्वीकृत हुआ है।
- गुरुद्वारा सिखों के इतिहास से जुड़ा हुआ है।
- आधुनिक सुविधाओं के समन्वय से इसका विकास किया जाएगा।
- यह धार्मिक स्थल लखनऊ की सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देगा।
- सरकार का लक्ष्य पर्यटकों की संख्या में वृद्धि करना है।
लखनऊ, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित ऐतिहासिक यहियागंज गुरुद्वारा को पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पर्यटन विभाग ने इस गुरुद्वारे के कायाकल्प और सौंदर्यीकरण के लिए दो करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने जानकारी दी कि सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर और दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की पावन स्मृतियों से जुड़े इस गुरुद्वारे का संरक्षण और आधुनिक विकास प्राथमिकता पर है।
उन्होंने कहा कि यहियागंज गुरुद्वारे का विकास इतिहास, अध्यात्म और आधुनिक सुविधाओं के समन्वय से किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु और पर्यटक इसकी समृद्ध परंपरा को नजदीक से जान सकें। मुख्यमंत्री ने पर्यटन स्थलों के विकास मद से वित्त वर्ष 2025-26 में 2 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है, जिससे गुरुद्वारे के सौंदर्यीकरण, आगंतुक सुविधाओं के विस्तार और सुगम पहुंच व्यवस्था पर कार्य किया जाएगा।
यहियागंज गुरुद्वारे के भीतर स्थित आर्ट गैलरी इसका विशेष आकर्षण है, जिसमें सिख इतिहास से जुड़ी दुर्लभ घटनाओं का चित्रण किया गया है। यहां गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह द्वारा हस्ताक्षरित दो हुक्मनामे तथा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हस्तलिखित प्रति भी संरक्षित है।
लखनऊ आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक सड़क मार्ग, चारबाग रेलवे स्टेशन और चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गुरुद्वारे तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
प्रकाशोत्सव और अन्य धार्मिक अवसरों पर बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग यहां आकर भजन-कीर्तन, लंगर और सेवा गतिविधियों में भाग लेते हैं। मुख्य सचिव पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य अमृत अभिजात ने कहा कि प्रदेश सरकार की पर्यटन नीति का लक्ष्य ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को आधुनिक सुविधाओं के साथ जोड़ना है।
यहियागंज गुरुद्वारा केवल सिख आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह लखनऊ की बहुसांस्कृतिक पहचान और सामाजिक सौहार्द का अद्वितीय प्रतीक भी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि बेहतर कनेक्टिविटी, आगंतुक सुविधाओं के उन्नयन और ठोस अवसंरचना विकास के साथ इस पवित्र स्थल को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाया जाएगा।
-- राष्ट्र प्रेस
विकेटी/एएसएच