क्या उत्तर प्रदेश में आधार कार्ड को जन्म तिथि का प्रमाण पत्र नहीं माना जाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- आधार कार्ड को जन्म तिथि का प्रमाण पत्र नहीं माना जाएगा।
- सभी सरकारी विभागों को नए नियमों का पालन करना होगा।
- नियोजन विभाग ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए हैं।
- यूआईडीएआई ने भी इस निर्णय का समर्थन किया है।
- सरकारी नौकरी और भर्ती प्रक्रियाओं में आधार की मान्यता समाप्त होगी।
लखनऊ, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए स्पष्ट किया है कि अब आधार कार्ड को जन्म तिथि के प्रमाण पत्र के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी। नियोजन विभाग ने इस संबंध में सभी सरकारी विभागों को आधिकारिक आदेश जारी किया है।
यह निर्देश नियोजन विभाग के विशेष सचिव अमित सिंह बंसल की ओर से जारी किया गया है।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि आधार कार्ड के साथ जन्म तिथि का कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं होता।
यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) भी यह मानता है कि आधार केवल पहचान और पते का दस्तावेज है, जन्म तिथि का प्रमाण नहीं।
इसके बावजूद, राज्य सरकार के कई विभाग आधार कार्ड को जन्म तिथि प्रमाण के रूप में स्वीकार कर रहे थे। इसी को ध्यान में रखते हुए स्पष्टीकरण जारी किया गया है।
यूआईडीएआई, क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ की ओर से भेजे गए एक पत्र में कहा गया है कि आधार कार्ड जन्म तिथि का अनुमन्य प्रमाण नहीं है।
इसके बाद यूपी सरकार के नियोजन विभाग ने सभी विभागों को इसे नियम के रूप में लागू करने का निर्देश दिया है।
विशेष सचिव अमित सिंह बंसल द्वारा जारी आदेश में विभागों को निर्देशित किया गया है कि किसी भी स्थिति में आधार कार्ड को जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में स्वीकार न किया जाए।
सरकारी नौकरी, भर्ती, शैक्षिक सत्यापन, सेवा पुस्तिका, दस्तावेज परीक्षण या अन्य सभी कार्यों में अब आधार को डीओबी प्रमाण के रूप में मान्यता नहीं मिलेगी।
जानकारी के लिए पत्र की प्रतियां निजी सचिव, प्रमुख सचिव, नियोजन विभाग, उप महानिदेशक, यूआईडीएआई क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ को भेजी गई हैं।
आदेश में विभागों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने-अपने अधीनस्थ कार्यालयों को तुरंत निर्देश जारी करें ताकि किसी स्तर पर भ्रम न रहे।