क्या उत्तराखंड के चमोली में हिंसा से प्रभावित महिलाओं के लिए 'संकटमोचक' है 'वन स्टॉप सेंटर' योजना?
सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं के लिए त्वरित सहायता
- घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के मामलों में मदद
- निशुल्क कानूनी सलाह
- आपातकालीन रेस्क्यू सेवाएं
- सुरक्षित आश्रय स्थान उपलब्ध कराना
चमोली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा को समाप्त करने और उन्हें त्वरित सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की वन स्टॉप सेंटर (सखी सेंटर) योजना उत्तराखंड के चमोली जिले में एक महत्वपूर्ण सहारा बनकर उभरी है। यह केंद्र घरेलू हिंसा, लैंगिक उत्पीड़न और दहेज के मामलों जैसी कठिनाइयों का सामना कर रही महिलाओं को परामर्श, आश्रय, चिकित्सा, पुलिस और विधिक सहायता जैसी पाँच प्रमुख सेवाओं के माध्यम से सहायता प्रदान करता है।
चमोली के गोपेश्वर में संचालित इस वन स्टॉप सेंटर की प्रशासिका रश्मि रावत ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि यह योजना 2019 से प्रभावी रूप से कार्यरत है, और अब तक 350 से अधिक महिलाएं इससे लाभान्वित हो चुकी हैं। सबसे अधिक मामले घरेलू हिंसा से संबंधित आते हैं। सेंटर पर आने वाली हर पीड़िता को संवेदनशीलता के साथ मदद की जाती है।
जैसे ही किसी महिला के साथ हिंसा की सूचना मिलती है, उसे तुरंत इमरजेंसी रेस्क्यू सर्विस के तहत सहायता प्रदान की जाती है। यह सेवा 108 एंबुलेंस, पीसीआर यूनिट और नेशनल हेल्थ मिशन के सहयोग से संचालित होती है। जरूरत पड़ने पर पीड़िता को नजदीकी अस्पताल या शेल्टर होम में सुरक्षित स्थान भी उपलब्ध कराया जाता है। कोई भी पीड़िता महिला हेल्पलाइन नंबर 181 पर कॉल करके 24 घंटे सहायता प्राप्त कर सकती है।
केंद्र की लीगल एडवाइजर रजनी ने कहा कि हमारे पास ज्यादातर महिलाएं गांवों से आती हैं। इनमें अधिकतर घरेलू हिंसा और मारपीट के मामले होते हैं। कई महिलाएं यहां मानसिक तनाव में आकर आती हैं और उन्हें यह भी नहीं पता होता कि उनके साथ क्या गलत हुआ है। हम उन्हें कानून के तहत उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देते हैं।
उन्होंने कहा कि कई महिलाएं तलाक या वैवाहिक विवादों के समाधान के लिए भी आती हैं। ऐसे मामलों में हम उन्हें प्रक्रिया की जानकारी देने के साथ-साथ निशुल्क अधिवक्ता की सुविधा भी उपलब्ध कराते हैं।