क्या कांवड़ मार्ग पर सरकार का आदेश विवाद बढ़ाने के अलावा कुछ और है? : हरीश रावत

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क्या कांवड़ मार्ग पर सरकार का आदेश विवाद बढ़ाने के अलावा कुछ और है? : हरीश रावत

सारांश

उत्तराखंड सरकार का आदेश कांवड़ मार्ग पर दुकान मालिकों को नेमप्लेट लगाने को लेकर विवाद का कारण बन गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। जानिए उन्होंने क्या कहा और इस विवाद का राजनीतिक महत्व क्या है।

Key Takeaways

  • सरकार का आदेश विवाद का कारण बना है।
  • हरीश रावत ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।
  • समाज में विभाजन के मुद्दे को उठाया गया है।
  • स्वास्थ्य सुरक्षा और राजनीतिक लाभ का मामला है।
  • भाजपा और कांग्रेस के बीच तकरार जारी है।

देहरादून, २ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड सरकार द्वारा कांवड़ मार्ग पर ढाबा और दुकान मालिकों को नेमप्लेट लगाने का आदेश देने से प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। इस फैसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास कोई ठोस कदम नहीं है, इसलिए उसने विवाद और चर्चा को बढ़ाने के लिए यह आदेश जारी किया है।

उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में सवाल उठाया कि कांवड़ यात्रा के दौरान यह आदेश जारी करने का विचार सरकार को क्यों आया? क्या स्वास्थ्य सुरक्षा के नाम पर यह नोटिस जारी हो रहा है? क्या चार धाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा की जरूरत नहीं है? क्या राज्य के अन्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है? धामी सरकार पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार केवल चर्चा में बने रहने के लिए ऐसे आदेश देती है। देहरादून में पनीर मिलावट का अड्डा बन गया है, लेकिन इसका कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्हें केवल कांवड़ियों की चिंता है।

उन्होंने कहा कि पहले भी यूपी सरकार ने ऐसा आदेश जारी किया था, जिस पर न्यायालय ने फटकार लगाई थी। भाजपा का एजेंडा केवल समाज को बांटने का है। उन्होंने कहा कि कौन सा धर्म थूकने को सही मानता है? ऐसे लोग मानसिक रूप से बीमार होते हैं। मैं यह कहना चाहता हूं कि भाजपा सरकार ऐसे कदम उठाती है जिससे समाज में विभाजन हो।

पंचायत चुनावों पर भाजपा के दावों पर उन्होंने कहा कि घमंड करने वाले का घमंड टूटता है। भाजपा का जो दावा है कि वे जीतेंगे, वह असत्य है। आपदा प्रबंधन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह विभाग केवल धन प्रबंधन कर रहा है।

कथावाचकों के बारे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर उन्होंने कहा कि समाज को बांटने वाले लोग अच्छे कथावाचक नहीं हो सकते। मंत्री सतपाल महाराज द्वारा कांग्रेस को सनातन विरोधी कहे जाने पर उन्होंने कहा कि जब वे कांग्रेस में थे, तब कांग्रेस सनातन विरोधी नहीं थी। भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस को सनातन विरोधी बताया गया। सच्चाई यह है कि उनकी कथा में भाजपा के लोग नहीं जा रहे हैं।

कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे के संघ को बैन करने के बयान पर उन्होंने कहा कि संघ की सोच संविधान के खिलाफ है। कांग्रेस ने कभी बैन की राजनीति नहीं की है, लेकिन हम वैचारिक रूप से उनका मुकाबला करेंगे।

Point of View

और इससे यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दलों के बीच मतभेद कैसे उभर रहे हैं।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

कांवड़ मार्ग पर नेमप्लेट लगाने का आदेश क्यों दिया गया?
सरकार का कहना है कि यह आदेश स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए है, लेकिन विपक्ष इसे विवाद बढ़ाने का प्रयास मानता है।
हरीश रावत ने इस आदेश पर क्या प्रतिक्रिया दी?
उन्होंने इसे केवल चर्चा में बने रहने का एक कदम बताया है और सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है।
क्या यह मामला केवल राजनीतिक है?
यह मामला राजनीतिक से अधिक सामाजिक स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इसके प्रभाव व्यापक हो सकते हैं।