क्या वंदे मातरम का विरोध अभिव्यक्ति की आजादी है?: उदित राज
सारांश
Key Takeaways
- अभिव्यक्ति की आजादी सभी का अधिकार है।
- विविधता हमारे देश की ताकत है।
- किसी भी विचार का सम्मान करना आवश्यक है।
- राष्ट्र की अस्मिता को मजबूत करने के लिए विविधता का स्वागत करना चाहिए।
- इतिहास हमें सिखाता है कि विरोध को राष्ट्र विरोधी नहीं माना जाना चाहिए।
नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस नेता उदित राज ने मुस्लिम समुदाय द्वारा वंदे मातरम के विरोध को उनकी अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा बताया।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि भारतीय संविधान में सभी को अभिव्यक्ति की आजादी देने का प्रावधान है, जिसके तहत लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन कुछ लोग इसे राष्ट्र से जोड़ने की कोशिश करते हैं, जो उचित नहीं है। हमारा राष्ट्र कोई मोम का खंभा नहीं है, जो टूट जाएगा।
उदित राज ने देश की विविधता पर जोर देते हुए कहा कि हमारे देश में विभिन्न विचारधाराएं और परंपराएं हैं। हमें इनका स्वागत करना चाहिए। यह राष्ट्र की अस्मिता को मजबूत करता है। हाल के वर्षों में इस विविधता के खिलाफ बढ़ते विरोध पर उन्होंने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह विरोध केंद्र सरकार की एक परंपरा का हिस्सा है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उदित राज ने बताया कि हमें विविधता की ताकत को समझना होगा। जब अमेरिका और वियतनाम के बीच युद्ध चल रहा था, तब अमेरिका में लोग अपनी सरकार के खिलाफ खड़े हुए थे। उन दिनों अमेरिकी विश्वविद्यालयों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, यहां तक कि अमेरिकी झंडे भी जलाए गए थे।
उन्होंने कहा कि इतिहास इसकी पुष्टि करता है कि अमेरिका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन वहां के लोगों को राष्ट्र विरोधी नहीं कहा गया। क्योंकि वे अभिव्यक्ति की आजादी की ताकत को समझते हैं। वे जानते हैं कि हमारा देश तभी प्रगति कर सकता है, जब हम अपने लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी देंगे।