क्या वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर अबू आजमी का संदेश है महत्वपूर्ण?
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम का 150 साल का इतिहास
- अबू आसिम आजमी का संविधान के प्रति सम्मान
- कौसर जहां का राष्ट्रीय गौरव पर बयान
- सामूहिक गायन का आयोजन
- प्रधानमंत्री मोदी का योगदान
मुंबई, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मातृभूमि के प्रति समर्पण और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक ‘वंदे मातरम’ अपनी 150 वर्षों की महान यात्रा का स्मरण कर रहा है। इस अवसर पर महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आजमी और दिल्ली हज समिति की अध्यक्ष कौसर जहां ने अपने विचार व्यक्त किए।
150वीं वर्षगांठ पर अबू आसिम आजमी ने कहा कि कोई भी कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। जो लोग ऐसा बोलते हैं, उन्हें स्वयं पर विचार करना चाहिए कि वे क्या कह रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे लोग देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। क्या हमारा संविधान समाप्त हो गया है? संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि किसका क्या अधिकार है और क्या किया जा सकता है और क्या नहीं।
सपा नेता ने कहा कि भारत किसी व्यक्ति या वर्ग विशेष का नहीं है। भारत सबका है। हमारे पूर्वजों ने इस देश के लिए अनगिनत कुर्बानियाँ दी हैं। उन्होंने दोहराया कि देश भारतीय संविधान के अनुसार चलेगा।
वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर कौसर जहां ने कहा कि आज इस विशेष कार्यक्रम का उद्घाटन हुआ है। मैं कहना चाहूंगी कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरा देश अपनी संस्कृति और गौरव को संरक्षित करने और मनाने के लिए प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि आज का दिन राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ने वाला है। हमारे राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया है।
कौसर जहां ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक राष्ट्रीय गीत नहीं है, बल्कि मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और समर्पण तथा त्याग का परिणाम है। आज पूरे देश में एक स्वर में वंदे मातरम का सामूहिक गायन किया गया, जो हमारी एकता और अखंडता का सच्चा प्रतीक है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक स्मारक डाक टिकट और स्मारक सिक्के का विमोचन किया है। इस आयोजन के माध्यम से हम अपने राष्ट्रगीत के भाव को जन-जन तक पहुंचाने और देशभक्ति को फैलाने में सहायक होंगे।