क्या 'वंदे मातरम्' गीत ने पूरे देश को एक सुर में पिरोने का काम किया? : चिराग पासवान
सारांश
Key Takeaways
- 'वंदे मातरम्' ने भारत की एकता को मजबूत किया है।
- यह गीत देशभक्ति की भावना को जगाता है।
- प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने इसे गौरव दिया है।
- इसका महत्व सभी समुदायों के लिए है।
- यह गीत मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
बेतिया, ७ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शुक्रवार को 'वंदे मातरम्' के १५० गौरवशाली वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी।
बेतिया में मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि यह हमारे देश के लिए गौरव की बात है। मुझे खुशी है कि सरकार ने इस मामले को इतनी गंभीरता से लिया है। 'वंदे मातरम्' के १५० साल पूरे हो गए हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है। इस गीत ने पूरे देश को एक सुर में पिरोने का काम किया है।
चिराग ने कहा कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने इस व्यवस्था को सम्मान देने का कार्य किया है, मैं समझता हूं कि इससे देशभक्ति की भावना और प्रबल होगी।
विपक्ष के बयानों पर पलटवार करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि ये लोग ऐसे ही कहते रहेंगे। ये लोग बोल-बोलकर ही बंटवारे की बात करते हैं। यह कार्यक्रम सभी का है, मुसलमानों के लिए भी है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि 'वंदे मातरम्' एक गीत, एक नारा है, जिसने अनगिनत क्रांतिकारियों को मातृभूमि के लिए संघर्ष में एक करके प्रेरित किया। ७ नवंबर को राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' के १५० साल पूरे हो रहे हैं। आइए, इस ऐतिहासिक पल को राष्ट्रीय गौरव के साथ मनाएं।
बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि आज १५० वर्षों बाद भी 'वंदे मातरम्' गीत भारत राष्ट्र की आत्मा और एकता का सार बनकर गूंजता है। यह गीत एक ऐसी जीवंत शक्ति है, जिसने वर्षों से भारतीयों के मन में देश प्रेम का संचार किया है। 'वंदे मातरम्' सिखाता है कि देशभक्ति क्षणिक भावना नहीं, आजीवन समर्पण और कर्तव्य है।
बिहार सरकार में मंत्री नितीन नबीन ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक 'वंदे मातरम्' ने देशवासियों में राष्ट्रभक्ति, आत्मसम्मान और मातृभूमि के प्रति समर्पण की अद्भुत चेतना जगाई है। यह सिर्फ एक गीत नहीं, भारत की आत्मा और स्वाभिमान की जीवंत अभिव्यक्ति है।