क्या वाराणसी की देव दीपावली में भारत की सांस्कृतिक एकता और विविधता की झलक देखने को मिलेगी?
सारांश
Key Takeaways
- देव दीपावली में 10 लाख दीप जलाए जाएंगे।
- विभिन्न संस्कृतियों का संगम देखने को मिलेगा।
- काशी को वैश्विक सांस्कृतिक केंद्र बनाने की दिशा में एक कदम।
वाराणसी, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। काशी की प्रसिद्ध देव दीपावली इस बार भारत की सांस्कृतिक एकता और विविधता का अनूठा प्रदर्शन करेगी। पर्यटन विभाग ने बताया कि अबकी बार घाटों पर देश के विभिन्न हिस्सों की परंपराओं का संगम देखने को मिलेगा। इसके लिए पर्यटन विभाग ने तैयारियाँ की हैं।
वाराणसी में हर साल की तरह इस बार भी देव दीपावली के रंगों की विशेष पहचान होगी। गंगा के किनारे जगमगाते 10 लाख दीप 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का संदेश देते नजर आएंगे। यहाँ के घाटों को एक खास रूप में सजाया जा रहा है। यहाँ मराठी परंपरा और दक्षिण भारतीय संस्कृति का संगम देखने को मिलेगा।
मैथिल ब्राह्मणों की पूजा-पद्धति, गुजराती रंगोली और थालियों की सजावट तथा नेपाली समुदाय की पारंपरिक दीप सज्जा का भी यहाँ अनुभव होगा। यहाँ के मराठी परिवार पारंपरिक विधि से दीप सज्जा और गंगा आरती की तैयारियों में जुटे हैं। नेपाली बस्ती के परिवार भी अपने रीति-रिवाज के अनुसार दीये जलाकर घाट की रोशनी बढ़ाएंगे।
गौरीकेदारेश्वर मंदिर परिसर में दीप सज्जा, भक्ति संगीत और पारंपरिक पूजा की तैयारियाँ तेज़ी से चल रही हैं, वहीं गुजराती मोहल्ले में पारंपरिक वेशभूषा, रंगोली और दीपों की थालियाँ अनोखी होंगी। दशाश्वमेध घाट और राजेंद्र प्रसाद घाट पर मैथिल ब्राह्मणों की पूजा-पद्धति से दीप जलेंगे।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि यह आयोजन काशी को एक वैश्विक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में और मजबूत करेगा। देव दीपावली भारत का एक विशेष उत्सव है, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों की झलक दिखाई देती है।
संयुक्त निदेशक पर्यटन दिनेश कुमार ने बताया कि इस बार देव दीपावली में 10 लाख दीप जलाए जाएंगे, जबकि स्थानीय समितियाँ अपने स्तर पर सजावट करेंगी। मिर्जापुर, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, प्रयागराज सहित कई जिलों और राज्यों के लोग यहाँ भक्ति रस में डूबे नजर आएंगे।