क्या वेणुगोपाल स्वामी मंदिर 70 साल तक पानी में डूबा रहा? आज भी भक्तों को बांसुरी की आवाज सुनाई देती है
सारांश
Key Takeaways
- वेणुगोपाल स्वामी मंदिर 70 वर्षों तक पानी में डूबा रहा।
- यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण है।
- भक्तों को यहाँ बांसुरी की आवाज सुनाई देती है।
- मंदिर की वास्तुकला होयसल शैली का अद्भुत उदाहरण है।
- मंदिर का स्थानांतरण खोडे फाउंडेशन ने किया था।
नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में भगवान श्रीकृष्ण के कई मंदिर हैं, जो अपने रहस्य और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं।
मंदिर की धार्मिक मान्यताएं भक्तों को उनके आराध्य से जोड़ने का कार्य करती हैं। ऐसा ही एक आध्यात्मिक स्थान है कर्नाटक का वेणुगोपाल स्वामी मंदिर। माना जाता है कि यहाँ आज भी भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी की मधुर आवाज सुनाई देती है।
कर्नाटक के मैसूर जिले के होसा कन्नमबाड़ी नामक गांव में स्थित वेणुगोपाल स्वामी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी बजाते हुए मूर्ति की पूजा की जाती है। भगवान का रंग श्याम है और उन्हें सुंदर फूलों से सजाया जाता है। भक्तों के अनुभव के अनुसार, जब कोई वहां दर्शन करने जाता है, तो बांसुरी की आवाज सुनाई देती है, लेकिन यह आवाज कहाँ से आती है, यह आज भी एक रहस्य है।
वेणुगोपाल स्वामी मंदिर की खासियत यह है कि यह 70 वर्षों तक पानी में डूबा रहा, फिर भी मंदिर को कोई खास नुकसान नहीं हुआ। यह सफेद ग्रेनाइट पत्थरों से बना है और यहाँ की वास्तुकला होयसल शैली का अद्भुत उदाहरण है। इसका निर्माण 12वीं सदी में होयसल वंश द्वारा हुआ था। यहाँ कई छोटे-छोटे मंदिर और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाते रॉयल रथ भी देखने को मिलते हैं। पूरी संरचना में सफेद मार्बल का उपयोग किया गया है।
1909 में सर एम. विश्वेश्वरैया ने कृष्णा राजा सागर बांध परियोजना की शुरुआत की, जिसके चलते मूल मंदिर कन्नमबाड़ी में था। बांध परियोजना के पूरा होते ही गाँव और मंदिर दोनों पानी में डूब गए। बाद में राजा कृष्ण राजा वाडियार चतुर्थ ने गाँव को फिर से बसाने का प्रयास किया और इसे दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया, जिसे होसा कन्नमबाड़ी नाम दिया गया। डूबने के बाद भी मंदिर को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। इसका विस्थापन खोडे फाउंडेशन ने किया था।