क्या विश्व शौचालय दिवस वैश्विक स्वच्छता संकट के प्रति जागरूक करता है?
सारांश
Key Takeaways
- स्वच्छता हर व्यक्ति का अधिकार है।
- शौचालय की कमी से बीमारियाँ फैलती हैं।
- सिर्फ शौचालय बनाना ही नहीं, बल्कि इसे बनाए रखना भी आवश्यक है।
- हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह स्वच्छता का पालन करे।
- स्वच्छता और हाइजीन को हमारे जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की तेज़ी से बदलती टेक्नोलॉजी और स्मार्टफोन की दुनिया में जीते हुए भी, हमारे आस-पास कई लोग अभी भी स्वच्छता और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। वैश्विक स्वच्छता संकट के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है। यह केवल एक दिन नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा हर इंसान का अधिकार है।
अगर शौचालय नहीं होंगे तो लोग खुले में शौच करने पर मजबूर होंगे। इससे न केवल गंदगी फैलती है, बल्कि कई बीमारियाँ भी होती हैं। दस्त, टाइफाइड और हैजा जैसी बीमारियाँ खुली जगह पर शौच करने से फैलती हैं। इसके अलावा, यह बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को भी प्रभावित करता है।
विश्व शौचालय दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि स्वच्छता केवल व्यक्तिगत कार्य नहीं, बल्कि समाज और देश की जिम्मेदारी है। भारत में पिछले कुछ वर्षों में सरकार और कई संगठनों ने इस दिशा में प्रयास किए हैं। हर घर में शौचालय के लिए योजनाएँ भी चलाई जा रही हैं, लेकिन अभी भी कई गाँवों और छोटे शहरों में लोग खुले में शौच करने के लिए विवश हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि शौचालय बनाना ही काफी है? नहीं, केवल इमारत बना देने से काम नहीं चलेगा। हमें इसे साफ-सुथरा रखना भी आवश्यक है। पानी की सुविधा और लोगों को इसके प्रयोग की आदत डालना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि विश्व शौचालय दिवस पर लोग जागरूकता फैलाने के लिए सेमिनार, रैली और अभियान चलाते हैं। बच्चों, माता-पिता और विद्यालयों में लोगों को बताया जाता है कि स्वच्छता स्वास्थ्य के लिए कितनी आवश्यक है।
इस दिन को मनाने का एक और बड़ा उद्देश्य यह भी है कि यह हमें यह एहसास दिलाता है कि स्वच्छता केवल सरकारी काम नहीं है, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है। यदि हम अपने घर, मोहल्ले और आस-पास के क्षेत्र को स्वच्छ रखेंगे, तो बीमारियों की संभावना कम होगी।
विश्व शौचालय दिवस हमें यह भी सिखाता है कि विकास तभी सच्चा है जब सभी तक स्वास्थ्य और सुरक्षा पहुंचे। आज के समय में यह केवल एक दिन नहीं है, बल्कि वर्षभर की जिम्मेदारी है कि हम स्वच्छता और हाइजीन को अपने जीवन और समाज का हिस्सा बनाएं।
2020 में सरकार ने बताया कि 6,03,175 गाँवों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है, लेकिन कुछ गाँव अभी भी ओडीएफ नहीं हो पाए हैं।