क्या ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ कारीगरों की जिंदगियों में बदलाव ला रही है?
सारांश
Key Takeaways
- कारीगरों को 10 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है।
- सरकार द्वारा चार हजार रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है।
- टूलकिट में टोकरी और सूप बनाने की मशीनें शामिल हैं।
- महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- इस योजना से कारीगरों की कार्य क्षमता में सुधार हुआ है।
गाजीपुर, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ का लाभ उठाकर कारीगर अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।
कारीगरों का कहना है कि इस योजना के अंतर्गत उन्हें 10 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है और सरकार की तरफ से उनके बैंक खातों में चार हजार रुपए भी जमा हुए हैं।
टोकरी बनाने वाली संजू ने कहा, "मैं गाजीपुर की निवासी हूं। हम टोकरी और सूप का निर्माण करते हैं। पहले हमें छुरा-चाकू से काम करना पड़ता था और बांस काटने के लिए मशीन किराए पर लेनी होती थी। लेकिन अब ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के तहत हमें एक टूलकिट मिली है, जिसमें सूप और टोकरी बनाने की मशीनें हैं, जिससे हमें काफी लाभ होगा। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने काम को बेहतर बनाने के लिए 10 दिन का प्रशिक्षण भी दिया गया था। इस दौरान हमने कई नई तकनीकें सीखीं।
‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के तहत मिली टूलकिट के बारे में संजू ने कहा कि हमें इसके लिए एक भी रुपया नहीं देना पड़ा है। सरकार की तरफ से हमें चार हजार रुपये और अन्य सामान प्राप्त हुआ है, जिससे हमारे काम में बहुत आसानी होगी।
जिला उद्योग विभाग के अधिकारी प्रवीण कुमार मौर्य ने कहा कि यह योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई है। इसमें 10 दिनों का प्रशिक्षण
एक अन्य लाभार्थी लक्ष्मी ने कहा, "टोकरी बनाने के लिए यह टूलकिट अत्यंत उपयोगी है।"
‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ कारीगरों और हस्तशिल्पियों के जीवन स्तर को उनके कौशल के विकास और निर्मित वस्तुओं एवं सेवाओं के दायरे को बढ़ाकर सुधारने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इसका मुख्य लक्ष्य कारीगरों और हस्तशिल्पियों को उनके व्यवसाय में संपूर्ण सहायता प्रदान करना है, जिसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यवसायों को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है, विशेषकर महिलाओं के सशक्तिकरण पर।