क्या ये लोग बिना किसी परामर्श के कानून बनाते हैं? : विवेक तन्खा
सारांश
Key Takeaways
- सरकार को कानून बनाने से पहले सभी पक्षों से सलाह लेनी चाहिए।
- विवेक तन्खा ने श्रम कानूनों में बदलाव की आलोचना की।
- राजनाथ सिंह के बयान को राजनीतिक प्रेरणा से भरा बताया गया।
- सरकार के नए ऐप को लेकर चिंता व्यक्त की गई।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने श्रम कानूनों पर केंद्र सरकार को कठोर आलोचना का निशाना बनाया।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जब आप बिना किसी मजदूर संघ से सलाह-मशविरा किए श्रम कानूनों में परिवर्तन कर देते हैं, तो इसका विरोध होना अनिवार्य है। आप बिना किसी परामर्श के कानूनों में बदलाव कर देते हैं। यही सरकार की समस्या है। ये लोग ऐसे कदम उठाते हैं, जो लोगों के हितों को नुकसान पहुंचाते हैं। सरकार को चाहिए कि किसी भी कानून को लाने से पहले सभी संबंधित पक्षों से संवाद करे। लेकिन, आज तक इस सरकार ने संवाद करने की आवश्यकता नहीं समझी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि उनके बयान का स्रोत क्या है। मुझे लगता है कि यह बयान पूरी तरह से राजनीतिक प्रेरणा से भरा है। ऐसी स्थिति में मैं इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलने के मुद्दे पर विवेक तन्खा ने कहा कि जो भी सार्वजनिक जीवन में आता है, वह मूल रूप से सेवा के लिए होता है। हम लोग शब्दों में ज्यादा उलझ रहे हैं। इसके विपरीत हमें अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि हम लोगों के हितों में कदम उठाने की दिशा में ध्यान देंगे, तो निश्चित रूप से आगे चलकर स्थिति बेहतर होगी, लेकिन यह दुखद है कि हम स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसके बजाय, हम शब्दों में उलझकर रह जाते हैं, जो कि बिल्कुल भी उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार ने संचार साथी ऐप पेश किया है। ये लोग लगातार ऐसे कदम उठाते हैं, जिससे लोगों में भय का संचार होता है। मैं इन लोगों से यही कहना चाहूंगा कि जनता में डर पैदा करने का कार्य न करें।